यहां ” अंतिम सत्य ” की जगह नसीब नहीं| कहानी दानवीरों के गांव ” टांटवाला ” की |राहुल सिंह की Report

Share this news

सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस


अपने उत्तराखंड के गांवों की कहानी एकदम जुदा है। यहां मूलभूत सुविधओं को तो टोटा बना हुआ है ही लेकिन अन्य समस्यायें भी मुंह बांहे खड़ी है। हर गांव की समस्यायें सुनकर हैरानी होती है लेकिन नेतानगरी व सरकारी सिस्टम पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहां एक ऐसे गांव का जिक्र कर रहे हैं जिसने जनता के हित में कई बीघा दान कर दी लेकिन इस दानवीरों के इस गांव से दुनिया छोड़ने वालों के अंतिम संस्कार के लिये श्मशान घाट तक नहीं बन पाया है।


यह गांव उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद का टांटवाला गांव है जो कि यूपी की सीमा से भी लगा हुआ है। झिलमिल झील के बेहद गरीब बसा यह गांव बहुत ही प्यारा है। यहां प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता के साक्षात दर्शन हो जाते हैं। तन को सुकून मिलता है और मन को शांति।
लेकिन अफसोस कि यह गांव भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। रोजगार का तो मानों अकाल ही पड़ गया हो। आरटीआई एक्टिविस्ट सोहन सिंह पंवार बताते हैं कि टांटवाला गांव को दानवीरों का गांव भी कहा जाता है। वजह, ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव ने उधमसिंह हाईवे निर्माण के लिये कई बीघा पंचायत की जमीन दान में वन-विभाग को दी थी।

सबसे महत्वपूर्ण और हैरानी की बात यह है कि इस गांव के ग्रामीण लंबे समय से श्मशान घाट निर्माण की बात करते आ रहे हैं लेकिन यह काम आज तक नहीं हो पाया है। नतीजतन, दुनिया छोड़ने वालों का फिर वहीं कहीं गंगा के किनारे अंतिम संस्कार किया जाता है। टांटवाला गांव के कुछ दूर श्मशान घाट बनाने का मामला कई बार उठाया भी गया लेकिन हुआ कुछ नहीं। कई बार यह मामला मीडिया में भी आया। पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के सामने भी यह मुद्दा रखा गया लेकिन हुआ कुछ नहीं। इस मामले को लेकर तर्क सामने जरूर आते हैं। कई बार इसे जमीन नहीं मिलने से जोड़ा गया तो कई बार वन-विभाग के पाले में गेंद डाली गयी।

ad12


बहरहाल, ग्रामीण अभी उम्मीद लगाये हुये हैं और मांग भी करते हैं कि श्मशान घाट का निर्माण किया जाये। देखा जाये तो यह बड़ा पुण्य का कार्य है लेकिन भारी-भरकम खर्चे का नहीं। कोई चाहे तो ग्राम प्रधान भी यह कार्य कर सकता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य भी ऐसा कर सकता है। जिला पंचायत सदस्य के लिये तो यह कोई बड़ा का नहीं है। कोई सक्षम व्यक्ति यह पुण्य का कार्य कर सकता है। कोई तो आगे आये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *