uttrakhand|10000 फीट की ऊंचाई पर ” रक्षाबंधन मेेला “| विराजते हैं बंसी नारायण| लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, लक्ष्मण सिंह नेगी, चमोली
उत्तराखंड हिमालय के जनपद चमोली विकासखंड जोशीमठ के 10000 फीट की ऊंचाई पर विष्णु का एक सुंदर मंदिर है जिसको बंसी नारायण के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर पंच केदार कल्पेश्वर के उरगम घाटी के वाँशा,कलगोठ गांव के शीर्ष पर स्थित है। बंसी नारायण के कपाट हर वर्ष बद्रीनारायण के कपाट के साथ पिछले 3 वर्षों से खोले जा रहे हैं और बद्री नारायण के कपाट बंद होने के दिन यहां कपाट बंद कर दिए जाते हैं । यहां हर वर्ष कलगोट गांव के लोग रक्षाबंधन के दिन भंडारा एवं विशेष पूजा का आयोजन करते हैं यहां दर्जनों गांव के लोग मेले में भागीदारी करते हैं। मेले में मुख्य रूप से भगवान नारायण को सत्तू, दूध घी,आदि का भोग लगाया जाता है

कलगोठ गांव के वारीगण पूजा मंदिर में करते हैं यहां गांव के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित होकर नारायण का प्रसाद भोग आदि बनाते हैं बंसी शब्द सुनकर के ऐसा लगता है यहां भगवान कृष्ण का मंदिर होगा ऐसा नहीं है यहां भगवान विष्णु का चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है जो शिव की तरह ,जलैरी में है यहां सभी अन्य देव गण जिसमें कुबेर क्षेत्रपाल घंटा करण उदव गरुड़ एवं गणेश जी विराजमान है यहां पर वन देवियों की पूजा की जाती है दूर-दूर के लोग यहां भगवान नारायण को मक्खन घी लेकर आते हैं और नारायण जी को भेंट करते हैं। कलगोठ महिला मंगल दल युवक मंगल दल के द्वारा बाहर से आने वाली श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया है ।

कलवोट के सामाजिक कार्यकर्ता सहदेव रावत बताते हैं ग्रामीण पिछले 3 दिनों से भंडारे की तैयारी के लिए बंसी नारायण में है। आज भव्य रुप से नारायण की पूजा की गई इस मंदिर के बारे में साहित्यकार एवं लेखक एलएस नेगी का मानना है कि मंदिर 6-8 ईसवी के बीच इस मंदिर का निर्माण किया गया है ऊंचे ताप वाले जितने भी मंदिर हैं वह कत्यूरी शासनकाल के हैं और कत्यूरी राजवंशों का शासन जोशीमठ में छठी स्त्री के समय में रहा है मंदिर की बनावट को देख कर लगता है की आवश्यक इस मंदिर को और भव्य बनाया जाना होगा यहां कुछ ऐतिहासिक एवं पुरातत्व की शिलांओ को देखकर लगता है कि कुछ व्यवधान इस मंदिर के निर्माण में वह होगा
जनश्रुति के अनुसार यह मंदिर इतना ऊंचा बनाया जाना था कि यहां से बद्री और केदार मंदिर के दर्शन यहीं से किए जा सकें पांडव काल में जब पांडव इसका निर्माण कर रहे थे तो उन्हें व्यवधान पैदा हो गया था ऐसी लोकमान्य रहे हैं बंसी नारायण के आगे सुंदर बुग्याल एवं झरने तथा नंदी कुंड स्वलून कुंड आदि रमणीक तालाव हे। बंसी नारायण पहुंचने के लिए पंच केदार कल्पेश्वर से 12 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पाकर यहां पहुंचा जाता है। कलगोट गांव के रास्ते भी मन से नारायण पहुंचा जा सकता यहां रुकने के लिए ग्रामीणों के द्वारा व्यवस्था की जाती है उरगम के रास्ते में होमस्टे की व्यवस्था हो जाते हैं।