काफल| औषधीय गुणों की खान और स्वाद के तो क्या कहने| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल


पहाड़ के हर मौसम में अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। बसंत में प्रकृति का श्रृंगार होता है तो सर्दियों में भी पहाड़ सुहावने लगते हैं। गर्मियों में भी अद्भुत दिखता है मेरा पहाड़। गर्मियों का जिक्र हो और मौसमी फल काफल का नाम नहीं आये। ऐसा हो हीे नहीं सकता है। काफल फल का अपना अलग ही महत्व है। स्वाद के लिहाज से भी और औषधीय गुणोें के नजरिये से भी। खास लोक-गीतों में भी काफल का भरपूर जिक्र किया गया है।


इस वक्त गर्मियों का सीजन है तो जिक्र काफल का ही करते हैं। अपने उत्तराखंड खंड राज्य को जहां प्रकृति ने प्राकृतिक सुंदरता से नवाजा है, वहीं स्वादिष्ट व औषधीय फलों व वनस्पतियों की भरमार यहां की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। यहां बेडू, तिमला,मेलु,हिसर, किनगोड़, गुबिला, गन्देला, कीम, तूंग कई औषधीय गुणों से भरपूर पेड़-पौधे व बनस्पतियों का भंडार है जो यहां निवास करने वाले जन मानस को चुस्त-दुरुस्त,स्वस्थ व निरोग रखते हैं।


उत्तराखंड राज्य में कई प्राकृतिक औषधीय वनस्पतियां पाई जाती हैं , जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही अधिक फायदेमंद होती हैं। बहुत ही कम लोग खासकर की शहरों में बसने वाले लोगों को इस पहाड़ी फल के बारे में जानकारी नहीं है। इस फल का नाम है “काफल” । काफल का फल जमीन से 4000 फीट से 6000 फीट की उंचाई में उगता है। ये फल उत्तराखंड के अलावा हिमाचल और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी होता है । इस फल का स्वाद मीठा- खट्टा और कसैला होता है । यह एक सदाबहार वृक्ष है।

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“काफल“ फल के पौधे को कही भी उगाया नहीं जा सकता है। यह स्वयं उगने वाला पौधा है। फरवरी-मार्च के महीने से काफल के पेड में फल आने शुरू हो जाते हैं और अप्रैल महीने की शुरुवात से ही यह हरे-भरे फल लाल होने लगते है। यही समय होता है इस स्वादिष्ट व औषधीय फल का रसास्वदन। आयुर्वेद में काफल को भूख की अचूक दवा माना जाता है। यानी कि यह फल भूख बढ़ाता है। “काफल“ फल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण मनुष्य के शरीर के लिए काफी फायदेेमंद होता हैं। यह फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है।
अगर आप भी उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण करने आ रहे हैं तो जरूर इस फल का स्वाद लीजियेगा। यकीन मानिये बेहद आनंद आयेगा।

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