पंचग्रही योग में महाशिव रात्रि| सकल महारथ होंगे सिद्ध| प्रस्तुति-आचार्य पंकज पैन्यूली
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
शिव आराधना व उपासना का खास पर्व महाशिव रात्रि इस बार बेहद ही खास है। इस बार महाशिव रात्रि का संयोग पंचग्रही के योग में बना है। सो, इसका महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। महाशिव रात्रि पर केंद्रित ज्योतिषाचार्य पंकज पैन्यूली की यह खास रिपोर्ट।
वैसे तो हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की उपासना,पूजा,जप,अनुष्ठान आदि का विस्तारपूर्वक विधान है और संबंधित देवी-देवता की पूजा विधि से साधक को मनवांछित लाभ भी अवश्य मिलता। लेकिन भगवान शिव ऐसे देवता हैं, जो भक्तों की भक्ति भावना से शीघ्र ही प्रसन्न होकर उनके मनोरथ पूर्ण कर लेते हैं।

इसीलिए उनका एक नाम “आशतोष“ भी है। आशतोष“ का भावार्थ ही, शीघ्र प्रसन्न होने वाला होता है। इसमें भी जो व्यक्ति भगवान शिव के प्रिय दिन महाशिवरात्रि को भगवान शिव का भक्ति भाव से विधिपूर्वक पूजन ,अर्चन, अभिषेक करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
चतुर्दशी तिथि (01 मार्च 2022 )प्रारम्भ प्रातः 03.16 से 02 मार्च 2022 01 बजे पर्यन्त तक। मंगल,बुध,शुक्र, शनि और चंद्र की युति से बन रहा है, महाशिवरात्रि का पर्व ख़ास।
महाशिवरात्रि का विशेष महत्व क्यों है?1
1.महाशिवरात्रि के सम्बंध में (शिवपुराण) में यह मान्यता है, कि इस दिन भगवान सदाशिव सबसे पहले शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे।।
2.महाशिवरात्रि के दिन “प्रकृति“एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा को उत्सर्जित करती है,जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को प्राचीन काल से ही मंत्र,यंत्र की सिद्धि व कामनाओं की पूर्ति की रात्रि कहा जाता है।।

इसलिए महाशिवरात्रि के दिन सभी हिन्दुओं को भगवान शिव की यथा शक्ति,यथा भक्ति पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ख़ासकर जिन लोगों के विवाह होने में,सन्तान होने में विलम्ब बनता हो व किसी प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहें हैं, तो उनके लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना अमृत का काम कर सकती है।
पूजा विधि-किसी भी देवी-देवता की एक विशिष्ट पूजा विधि होती है, लेकिन सामान्य जनमानस को आज के दिन या रात्रिकाल में शारीरिक व मानसिक शुद्धि उपरान्त घर में शिवलिंग के सम्मुख या मन्दिर में जाकर सबसे पहिले गणेश जी का ध्यान व रौली,चावल,फूल आदि से पूजा करनी चाहिए,उसके बाद भगवान शिव का ध्यान करे और उसके बाद सबसे पहले शिवलिंग का जल या गंगा जल से स्नान करे। और फिर क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से स्नान करे, और फिर सफाई हेतु जल से स्नान करें। उसके शिवलिंग पर क्रमशः यज्ञोपवीत, वस्त्र, चंदन, चावल, फूल, भांग, धतूरा, फल, फूल आदि चढ़ाये और अंत में आरती भी कर सकते हैं। ये सामान्य व पूर्ण प्रभावी विधि है। वैसे पूजा में विधि से अधिक भाव प्रभावी होता है।