गोली का जवाब गोलों से देती हैं हमारी सेनाएं|Click कर पढ़िये पूरी News

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से हमारी सेनाओं ने साफ किया कि भारत की बेटियों के सिंदूर की ओर आंख उठाने वालों का क्या परिणाम होता है। हमारे सैनिकों ने शौर्य, त्याग और अटूट समर्पण की मिसाल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।

मुख्यमंत्री धामी ने यह बात शुक्रवार को गढ़ीकैंट स्थित दून सैनिक इंस्टीट्यूट में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर ‘एक संवादः वीर सैनिकों के साथ‘ कार्यक्रम के दौरान कही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य में सेवानिवृत्त सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए एक सेंटर बनाया जाएगा। सैनिक कल्याण विभाग द्वारा इसके लिए कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर सीएम ने कहा कि 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर कायरतापूर्ण हमला कर देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। इसके जवाब में हमारी सेनाओं ने 7 मई को 9 बड़े आतंकी अड्डों को तबाह किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के कारण ही आतंकवाद के विरुद्ध इस निर्णायक कार्यवाही को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जवानों का मनोबल बढ़ाने के साथ सेना को अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से सुसज्जित किया जा रहा है। भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है।

उन्होंने कहा कि अब हमारी सेना दुश्मन की गोली का जवाब गोलों से देती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लिए गए कड़े फैसले देश के दुश्मनों की रीढ़ तोड़ने का काम कर रहे हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद तुरंत फैसला लेते हुए सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया गया। पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक रास्ते बंद कर दिए गए हैं, क्योंकि ट्रेड और टेरर एक साथ नहीं चल सकते।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सैनिकों के हित में भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा रहे हैं। वन रैंक-वन पेंशन, नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण, रक्षा बजट में वृद्धि के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया है। कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है। शहीदों के आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख किया गया है। सेना में परमवीर चक्र से लेकर मेन्सन इन डिस्पैच तक सभी वीरता पुरस्कारों से अंलकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिकी राशि में भी वृद्धि की गई है।

उन्होंने कहा कि बलिदानियों के परिवार के एक सदस्य को राज्य की सरकारी नौकरी में समायोजित करने का भी निर्णय लिया गया है इसके लिए आवेदन करने की अवधि को 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष किया गया है। राज्य में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को सरकारी बसों में यात्रा की निःशुल्क व्यवस्था की गई है। सेवारत व पूर्व सैनिकों के लिए ₹25 लाख मूल्य की स्थायी सम्पत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट भी प्रदान की जा रही है। शहीदों की स्मृति में देहरादून के गुनियाल गांव में एक भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है।

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इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, स्टेशन कमांडर आरएस थापा, निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर (सेनि) अमृतलाल, उपनल के एमडी ब्रिगेडियर (सेनि) जेएनएस बिष्ट, रिटायर्ड अधिकारी ले.जनरल एकेसिंह, रियर एडमिरल ओ.पी.एस.राणा, एअर मार्शल डी.एस.रावत, ले.जनरल टी.पी.एस.रावत, रियर एडमिरल अनुराग थपलियाल, मेजर जनरल ओ.पी.सोनी, मेजर जनरल डी.अग्निहोत्री, मेजर जनरल पी.एस.राणा, मेजर जनरल नीरज वर्मा, मेजर जनरल आनंद सिंह रावत, मेजर जनरल एम.एस.असवाल, मेजर जनरल के.डी. सिंह, ब्रिगेडियर के.जी.बहल आदि मौजूद रहे।

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