psychology @ बड़ी गुणवान और काम की है ” नृत्य और गति चिकित्सा “| कन्या गुरूकुल में साझा की उपयोगी जानकारी। साभार-Click कर पढ़िये पूरी News
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-हरिद्वार
काया में व्याधि का घर कर जाना कष्टकारी है। लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी ऐसा हो ही जाता है। व्याधि को हरने के लिये चिकित्सा की जाती है और काया व्याधि से दूर हो जाती है। इस खबर में ऐसी चिकित्सा की बात कर रहे हैं जिसे शायद ही सुना होगा और अगर सुना होगा तो देखा नहीं होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन सी चिकित्सा की बात कर रहे हैं। अब आपको बता ही देते हैं इस चिकित्सा का नाम है नृत्य और गति चिकित्सा। सीधे शब्दों में कहें तो नृत्य से व्याधि दूर हो जाती है। इस विषय गुरूकुल काॅगड़ी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार के कन्या गुरुकुल परिसर के मनोविज्ञान विभाग में बेहद उपयोगी कार्यक्रम हुआ है। दो दिनों तक चले इस कार्यक्रम का जादू इस तरह से सिर चढ़कर बोला कि मांग होने लगी ऐसा हर महीने किया जाये। आइये आपको सीधे दो दिनों तक चले इस कार्यक्रम में ले जाते हैं। गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के मीडिया प्रभारी डा मनौज कुमार चैाहान ने यह उपयोगी जानकारी साझा की है तो पेश है यह खास रिपोर्ट।

दरअसल, गुरूकुल काॅगड़ी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार के कन्या गुरुकुल परिसर के मनोविज्ञान विभाग में 7 व 8 मार्च के दो दिन बेहद खास रहे। यहां नृत्य और गति चिकित्सा और परामर्शन व निर्देशन में परामर्शक द्वारा अनुभव की गयी सम्सयाओं के सम्बन्ध मे
दो दिवसीय कार्यशाला दिनाॅक 7 व 8 मार्च को आयोजन किया गया।

कार्यषाला मे मुख्य वक्ता के रूप मे आर.सी. आई लाइसेंस धारी नृत्य व गति चिकित्सक विशेषज्ञ मेघा षर्मा और राधिका बंसल दिल्ली रोहिणी से आयी थी। कार्यशाला मे बी.ए. आॅनर्स मनोविज्ञान व एम.ए.ध्एम.एस.सी की छात्राओं ने भाग लिया। कार्यशाला के पहले दिन मेघा शर्मा और राधिका बंसल ने नृत्य व गति चिकित्सा के द्वारा अपने संवेगों को कैसे अभिव्यक्त करें।इस विषय पर कई प्रकार की गतिविधियां करवायी जैसे गैर- मौखिक तरीकों का प्रयोग कर खुद का परिचय देना, किसी का अभिवादन आदि करना। छात्राओ ने खुल कर अपने मुश्किल संवेगों की अभिव्यक्ति की व कई तरह के प्रश्नप पूछ कर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यशाला मे रंगों व चित्रकला के माध्यम से संवेगोें को अभिव्यक्त करना सीखाया गया।

कार्यशाला के दूसरे दिन मेघा शर्मा और राधिका बसंल ने परामर्शन के दौरान काउंसलर के कई तरह की समस्या आ सकती है इस पर “भूमिका निर्वहन” विधि द्वारा लाइव सत्र द्वारा छात्राओं को परामशग्न की विभिन्न विधियों से अवगत कराया। एक अच्छा परामर्शन वो होता है जिसमे कलायंट की समस्याओं को समझने, उनकी भावनाओ को पहचानने और उन्हे सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन देने की तरफ कार्य किया जाता है, कभी-ंकभी परामर्शन के कार्य मे कई तरह की रूकावट आ सकती है जैसे कलांयट परामर्शन के दौरान सहयोग न करे, उस परिस्थिति में आत्म जागरूकता, सकारात्मक दृष्टिकोण, लचीलापन, सृजनात्मक समस्या समाधान का सहारा लेकर परामर्शन करना चाहिये।
छात्राओ मे इस कार्यशाला को लेकर काफी उत्साह दिखायी दिया। छात्राओं ने कहा की इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन विभाग की और से हर माह होना चाहिये। कार्यशाला को संचालन डा॰ सुनीता रानी, डा॰ ऋचा सक्सेना ने किया और डा॰ पारूल, दीपा तथा हरिराम द्वारा सहयोग किया गया।