Haridwar News…किरण जैसल मदन कौशिक का रिकॉर्ड तोड़ेगी ? जीतना भूल गई कांग्रेस |साभार-वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-साभार वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल
उत्तराखण्ड की अघोषित राजधानी देहरादून। राज्य का सबसे बड़ा महानगर भी है। राज्य का दूसरा बड़ा महानगर हरिद्वार है। लगभग एक लाख 93 हजार मतदाता महानगर हरिद्वार में महापौर के चुनाव के लिए मतदान करेंगे। 13 दिन बाद 23 जनवरी को 61 सदस्यीय लोकल सरकार बनाने के लिए महानगर की जनता मतदान करेगी।



भाजपा की महापौर प्रत्याशी किरण जैसल व कांग्रेस की अमरेश देवी के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन दोनों की तैयारी तथा प्रचार अभियान के बीच बड़ा अंतर व फासला बड़ता जा रहा है। हालांकि चुनाव अभी दूर है। दोनों दलों की बड़ी सभाएं अभी होनी है। लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि भाजपा की किरण जैसल, नगर विधायक मदन कौशिक की 2022 की जीत का रिकॉर्ड तोड़ नया रिकॉर्ड अपने नाम कर सकती हैं। भाजपा में असंतोष कम नही हैं। कई वार्डों में बागी घोषित वार्ड पार्षद प्रत्याशियों की राह रोके खड़े हैं। भाजपा की बंदर घुड़कियों को भी उन्होंने पचा लिया है, अनुशासन तार-तार हो गया है। भाजपा अब कांग्रेस की तरह ही भ्रष्ट पार्टी बन गई है जिसका मुख्य सिद्धांत व लक्ष्य सत्ता में बने रहना ही नही, नए-नए क्षेत्रों व संस्थाओं छा जाने का है। भाजपा को सरकार चलाने से ज्यादा चुनाव लड़ते रहने में मजा आ रहा है।
गुटबंदी की शिकार हरिद्वार महानगर नगर कांग्रेस भाजपा की संगठन शक्ति से मुकाबला करने की स्थिति में नही है। गुटबाज नेताओं ज्वालापुर का अपना गढ़ भी इस बार बिखेर दिया है और मुसलमानों की कई पिछड़ी जातियों को भाजपा ने अपने धनबल से लुभा लिया है। कांग्रेस जो जितना बड़ा नेता है उतना ही बड़ा भस्मासुर है जो कांग्रेस को निगलने में लगे हैं। भाजपा उन्हें उनके भ्रष्टाचार की समय-समय पर याद दिलाती रहती है। जिससे वह डरे रहते हैं। निवर्तमान नगर निगम बोर्ड में महापौर कांग्रेस की अनिता शर्मा थी। कांग्रेस को एकजुट करने में पूर्व विधायक अमरीष कुमार तथा पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जनता के बीच कांग्रेस के एकता संदेश ने ही उसे जीता दिया था। लेकिन अमरीष कुमार की मृत्यु के बाद से हरिद्वार में कांग्रेस मृत प्राय: हो गई है। सतपाल ब्रह्मचारी को हरियाणा का बताते-बताते हरिद्वार के कांग्रेसियों ने हरियाणा ही भेज दिया है।बड़े बड़े नेता तो हैं लेकिन उनको मंच पर बैठाने वाले छोटे-छोटे कार्यकर्ता नही है ? कांग्रेस जीतना भूल गई है।
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भाजपा व कांग्रेस में वैसे भी अंतर नही है
जब कद्दू कटा भाजपा-कांग्रेस ने मिल बांटकर खाया। मनसा देवी मंदिर के रोप-वे की लीज खत्म होने पर दोनों पार्टियों के बोर्ड ने मिलकर 10 साल के स्थान पर 30 साल लीज बढ़ाई। कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तपाक से कह दिया था “कद्दू कटा, मिलकर खा लिया। इसके बाद भूपतवाला में यात्री पडाव यान की करोड़ों की भूमि को नपवाने के लिए “कद्दू कटा” मिलकर चट कर दिया। भाजपा व कांग्रेस के आलाकमान ने कभी पूछा नही यह कैसी एकता है। कद्दू कैसे हजम हो गया ?