Pauri Garhwal.. 9, 10 & 11 June इस गांव में तीन दिन ही दिखते हैं इंसान |जगमोहन डांगी की Report

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सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी गढ़वाल


उत्तराखंड के गांव अपनी विशिष्ट बनावट व वैभवशाली संस्कृति के लिये देश-दुनिया में जाने जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जनपद का एक ऐसा गांव है जिसमें साल में केवल तीन दिन ही इंसान दिखते हैं। ये दिन 9, 10 व 11 जून। हर साल इन तीन तिथियों में यहां इंसान दिखते हैं। बाकी दिनों में यहां वीरानी व सन्नाटा रहता है। गांव में ऐतिहासिक बजरंग बली का दिव्य मंदिर है। बजरंगी की ताकत ही है कि यहां साल में तीन दिन इंसान दिखते हैं। इस साल तो एक बस दिन ही इस गांव में इंसान दिखे हैं।


इस गांव का नाम है बलूनी गांव। यह गांव पौड़ी जनपद की मनियारस्यूं पट्ी में स्थित है। इस गांव में पलायन की मार ऐसी पड़ी कि पड़ती ही रही और पूरा गांव पलायन कर गया। इस गांव में एक भी परिवार व इंसान नहीं रहता है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस गांव के करीब सभी मकान भी अब गुजरे जमाने की बात हो गये हैं। मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कहने का मतलब यह है कि मकान रहने लायक नहीं रहे हैं।


कुछ को शहरों की चमक पलायन करा गयी तो कुछ शिक्षा के नाम पर चले गये। कुछ रह भी गये थे लेकिन वे भी कुछ परिवार पानी के संकट के कारण रोड़ साइड बनेख कस्बे में बस गए। खास बात यह है कि बलूनी गांव से विभिन्न महाकमो में उच्च पदों पर विराजमान हैं। इस गांव में एक भी परिवार बीपीएल श्रेणी का नहीं है।


धार्मिक महत्व के नजरिये से देखें तो गांव में कोटद्वार की तर्ज पर सिद्ध बाबा का विशाल मंदिर बना हुआ है। जिसको बजरंग बली के रूप में पूजा अर्चना करते हैं। गांव के रिटायर्ड डीएसपी एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष आर पी बलूनी बताते हैं कि बलूनी गांव ढाकर का आम रास्ता था । नजदीक पांचाली गांव के ढकरी ने हमारे गांव के पास थकान मिटाने के लिये अल्प विश्राम किया। कहते हैं कि उनका लून यानि नमक सियार का भाड़ा भारी हो गया। उसके अंदर पत्थर वही फेंक दिया फिर अगले दिन उनके सपने में आया तब से हमारे पूर्वजों ने यह पर सिद्ध बाबा का स्थापना कर दी।


हैरानी की बात यह है कि इस गांव में एक भी परिवार व इंसान नहीं रहते हैं। 2010-12 में गांव में सड़क आने और सोशल मीडिया के माध्यम से समस्त प्रवासियांे एकत्रित हुये और समिति का गठन हुआ। तय किया गया कि हर साल जून के दूसरा सप्ताह में गांव में सिद्ध बाबा की अनुष्ठान और रातभर भजन कीर्तन भंडारा आयोजित किया जायेगा और ऐसा होने भी लगा। मकसद धार्मिक अनुष्ठान करना व नयी पीढ़ी को विरासत में गांव की अनमोल धरोहर से वाकिफ करना है।


मकसद तो पूरा हुआ लेकिन हसरत बाकी रह गयी। इस गांव में हर साल जून माह में 9, 10, 11 जून को तीन दिनों का अनुष्ठान होता है और बड़ी संख्या प्रवासी हुये ग्रामीण गांव भी पहुंचते हैं लेकिन गांव में तो मकान रहने लायक हैं ही नहीं। लेकिन बगल के गांव में रहते हैं या फिर नजदीकी धर्मशाला को ठौर-ठिकाना बनाते हैं। बस दिन दिन अनुष्ठान के दौरान ही गांव में जाते हैं।
कहने का मतलब यह है कि इस गांव में साल में केवल तीन दिन ही इंसान दिखते हैं बाकी सन्नाटा है। बताते हैं कि गांव के युवा की आकस्मिक मौते के चलते इस बार अनुष्ठान केवल एक दिन का ही किया गया है।

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बलूनी गांव के कुल पुरोहित मां भुवनेश्वरी मंदिर के पीठाधीस गणेश प्रसाद शैलवाल द्वारा पूजा अर्चना यज्ञ हवन आदि किया गया। स्थानीय महिलाओं द्वारा कीर्तन भजन किए गये। इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य कुशलानन्द बलूनी, एस पी बलूनी सीओ टिहरी ग्राम प्रधान धारी मदन सिंह रावत समाजिक कार्यकर्ता अशोक रावत,विकास बलूनी सुनीता वेदवाल बलूनी,महिला मंगल दल अध्यक्ष पूडेरी लक्ष्मी देवी,ग्राम प्रधान पांचाली संतोषी रावत आदि मौजूद रहे।

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