नमस्कार पहाड़….पहाड़ को कुदरत ने दिया अनमोल खजाना| कमल उनियाल की Report

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सिटी लाइव टुडे, कमल उनियाल, द्वारीखाल

उत्तराखंड के पर्वतीय अति दुर्गम क्षेत्रों में आजीविका अर्जित करना बहुत कठिन है। लेकिन दुर्गम क्षेत्रों में प्रकृति ने नेमतें भी वख्ष रखी है। यहाँ शुद्ध बाँज के जडों का पानी, प्राकृतिक हवा तरह तरह के फल तिमला, हिसरा, बेडू, भमोरा, किनगोडा पाये जाते है। जो खाने में स्वादिष्ट के साथ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।


इनमें उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला प्रसिद्ध फल काफल प्रमुख रुप से है। जिसके स्वाद के दीवानें यहाँ के स्थानीय निवासी ही नहीं बल्कि भारत के कोने कोने के निवासी भी है। यह खट्टा मीठा फल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं रोजगार का साधन भी बना हुआ है। यह फल तीन चार सौ रुपये किलो बिकता है। चैत के महीने में एक चिडिया जब चहकती कि काफल पाको, मिन नी चाखो जिसका संदेश होता है कि काफल पकने लगे है।

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पिछले कई साल बाद इस साल काफल की अच्छी पैदावर हो रखी है। पेड की टहनियाँ काफल के फलो से लदी है। काफल के फलांे से स्थानीय बेरोजगारो को तीन महीने का रोजगार मिलता है। यह फल शुगर, डायरिया, अस्थमा, पेट के विकार जैसी बिमारियो के लिए रामबाण साबित होती है। ग्रामीण अजय डोबरियाल, भारत नेगी मनोज नेगी का कहना है कि गर्मीयांे में आग के कारण काफल के वृक्ष को नुकसान पहुँचता है जोकि एक चिन्तनीय विषय है।

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