बड़ा सवाल| तो सोशल मीडिया से रूकेगा पलायन| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल


पहाड़ से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसका जिक्र खूब होता है लेकिन फिक्र कम ही दिखती है। फिक्र का जिक्र होता है तो केवल सोशल मीडिया में ही। सोशल मीडिया है तो फिक्र जताने का जाता भी क्या है।


सोशल मीडिया प्लेटफार्म में पलायन को लेकर अच्छी-खासी पोस्ट तैरती रहती है। दिल्ली और अन्य महानगरों में बैठकर लोेग पहाड़ से हो रहे पलायन का दर्द बयां करते हैं। महानगरों में रचे-बसे लोग भी पहाड़ में ही रहने की सलाह दे देते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि आज गांव-गाँव सड़कों का जाल भी बिछ रहा है,स्वास्थ्य, शिक्षा सुबिधा को भी दुरस्त किया जा रहा है। लेकिन अब देर भी काफ़ी हो चुकी है।

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आज पलायन पर बात दिल्ली-देहरादून मे ही बैठकर सोशल मिडिया पर बहुत चलती है। हमारी मज़बूरी थी हमें रोजगार के लिए पलायन करना पड़ा।बच्चों की शिक्षा के लिए पलायन करना पड़ा| आज हम रिटायर हो गए। बच्चों को भी अच्छी शिक्षा प्रदान करवा दी। परन्तु अब तो हम शहर वाले बन गए। गाँव कौन आये आने का ही मन नहीं कर रहा। हा इतना जरूर है कि सोशल मिडिया पर लम्बी-लम्बी बाते करना सीख गए है। दिल्ली-देहरादून मे बैठकर पलायन पर भाषण देना हम अच्छी तरह जान गए है।
शायद इस पलायन को रोकना अब आसान नहीं है।

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