वरिष्ठ साहित्यकार ‘ भीष्म कुकरेती ‘ को मिला ‘ चिट्ठी पत्री सम्मान|एक click में पढ़िये पूरी खबर

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देहरादून। हिमालय लोक साहित्य एवं विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में चिट्ठी पत्री संस्था की ओर से आयोजित समारोह में इंटरनेट प्लेटफार्म पर गढ़वाली साहित्य की अलख जगाए रखने वाले सक्रिय साहित्यकार भीष्म कुकरेती को चिट्ठी पत्री सम्मान 2022 से नवाजा गया। समारोह में चिट्ठी पत्री का वार्षिक अंक और कवि डॉ. प्रीतम अपच्छयाण के गढ़वाली उपन्यास ‘यकुलांस’ लोकर्पण भी किया गया। वहीं समारोह के आखिरी में युवा रचनाकारों ने काव्य पाठ किया।

ओएनजीसी महिला पालिटेक्निक संस्थान के सभागार मे प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की अध्यक्षता में सम्मान, लोकार्पण समारोह और कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि समाजसेवी कवीन्द्र इष्टवाल ने गढ़वाली साहित्य संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाने पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि हर्षमणी व्यास ने समाज से मातृभाषा के लिए काम करने का आह्वान किया। गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने नई पीढ़ी द्वारा मातृभाषा में लेखन की रुचि की सराहना की।

समारोह के पहले चरण में ’चिट्ठी-पत्री’ पत्रिका के संपादक मदन मोहन डुकलान ने पत्रिका की विकास यात्रा को रेखांकित किया। साथ ही स्थानीय भाषाओं के अस्तित्व पर संकट पर समाज और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। इसके बाद इंटरनेट मीडिएम पर गढ़वाली साहित्य को उपलब्धता में सर्वाधिक योगदान करने वाले साहित्यकार भीष्म कुकरेती को ’चिट्ठी सम्मान -2022 से सम्मानित किया गया। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने फोन के जरिए ही अपना संबोधन किया।

समारोह में कुलानंद घनशाला, रामेंद्र कोटनाला, दिनेश शास्त्री, ललित मोहन लखेड़ा, गोकुल पंवार, दीपक रावत, नीता कुकरेती, जयदीप सकलानी, हरीश जुयाल ’कुटज’, रमेश बडोला, यतेन्द्र गौड़, बीना कंडारी, गिरीश सुंदरियाल, धर्मेन्द्र नेगी आदि मौजूद रहे।

दो किताबों का लोकार्पण
दूसरे चरण में प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने ’चिट्ठी-पत्री’ के वार्षिक अंक 2022 और डॉ. प्रीतम अपछ्याण के गढ़वाली उपन्यास ’यकुलांस’ का लोकार्पण किया। गढ़वाली साहित्यकार देवेंद्र प्रसाद जोशी ने कहा कि चिट्ठी-पत्री का यह अंक शोध छात्रों और भाषा प्रेमियों के लिए संजोकर कर रखने योग्य है।

गढ़वाली पत्रकारिता की चुनौतियां
इसके बाद ’वर्तमान में पत्रकारिता व चुनौतियां’ विषय पर पत्रकार गणेश खुगशाल ’गणी’ ने स्थानीय भाषा में पत्रकारिता को लेकर दिक्कतों का जिक्र कर सरकार से ध्यान देने की अपील की। गढवाली उपन्यास ’यकुलांस’ पर युवा लेखक आशीष सुंदरियाल ने कहा कि यह उपन्यास के विकास क्रम में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। अब गढ़वाली उपन्यास सामाजिक विद्रूपताओं के साथ मनुष्य के मनोभावों व मनोविकारों पर केन्द्रित होकर भी लिखे जाने लगे हैं।

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युवाओं ने किया काव्यपाठ
’कवि सम्मेलन’ में युवा रचनाकारों ने वरिष्ठ कवियत्री बीना बेंजवाल के संचालन में काव्यपाठ किया। आकृति मुंडेपी ने ’सुबेरौ सुपन्या’ अर ’स्मार्ट फोन’ से तकनीकी विकास के दुष्परिणाम का संकेत दिया। दिवाकर बुडा़कोटी ने पहाड़ की पीड़ा को बयां किया। नेहा सिलवाल की कविताएं स्त्री-विमर्श पर केन्द्रित रही। डॉ. कान्ता घिल्डियाल ने पहाड़ की नारी की पीड़ा को उकेरा। अखिलेश अंथवाल ने शृंगार रचना पेश की। अनिल सिंह नेगी ने विकास के नाम पर हो रहे विनाश को इंगित किया। बीना बेंजवाल ने पहाड़ की पुरानी जीवनशैली को दर्शन कराए। आखिरी में साहित्कार नरेन्द्र सिंह नेगी ने ’बाटो’ कविता और ’स्वर्ग मा छौं….’ गीत सुनाया।

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