यमकेश्वर| आपदा के ” घाव ” कब भरेंगे|परेशानी भी है हैरानी भी| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस


यमकेश्वर में आयी आपदा के घाव-घाव अभी भी भरे नहीं हैं। आपदा के बाद अभी भी मूलभूत सुविधायें पटरी पर नहीं आ पायी हैं। सड़क-पानी से अभी भी ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ रहा है। आलम यह है कि क्षेत्र में पेयजल संकट गहरा गया है। प्राकृतिक स्रोतों ही ग्रामीणों की प्यास बुझा रहे हैं।


आपको अपडेट स्थिति से अवगत कराते हैं। यमकेश्वर की लाईफ लाईन समझी जाने वाली लक्ष्मणझूला, काण्डी मोटर मार्ग गणेशपुर के पास अभी तक अवरू़द्ध है, जिस पर पिछले दिनों से जेसीबी मशीन लगी हुई है, लेकिन चट्टान काटने में समस्या आ रही है, जिस कारण अभी तक मार्ग खुल नहीं पाया है। ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ने वाला सड़क मार्ग, नौंगॉव बुकण्डी मोटर मार्ग, ताल खैराणा, मोटर, मार्ग, धारकोट जुलेड़ी मोटर मार्ग तूंगखाल- बुकण्डी मोटर मार्ग,तिलधार-यमकेश्वर मोटर मार्ग, नैल- बिजनी, देवराणा, कचुण्डा, देवराणा, गुण्डी, काण्डाखाल, भुमियाकिसार, कसाण आदि सड़के अभी तक बंद पड़ी हुई हैं।

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वहीं जनप्रतिनिधियों का दौरा केवल हेंवल नदी के आस पास के क्षेत्र में हुआ है, जबकि शतरूद्रा घाटी और तालघाटी भी बहुत प्रभावित हुआ है। लोगों का कहना है कि सड़कें बंद होने के कारण रोज जरूरत मंद चीजों के लिए व्यवस्था कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे ग्रामीण खासे परेशान हैंे। आपदा के बाद गंदगी की समस्या अलग से बनीे हुयी है। हाल पेयजल लाईने भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं, साथ ही आवाजाही के रास्ते भी बंद होने के कारण काफी मुश्किलों का सामना ग्रामीणां को करना पड़ रहा है। खेती का नुकसान होने से किसान बहुत हताश हैं। अधिकांश स्कूलों के रास्ते टूट गये हैं, साथ ही पेयजल लाईन टूटने से नौनीहाल दूर दराज क्षेत्र में जाकर पानी लेकर आ रहे हैं, विद्यार्थियों को पठन पाठन में व्यवधान हो रहा है।

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