बिच्छू बूटी चाय| स्वाद भी और सेहत भी | बताया कैसे बनायें| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-जयमल चंद्रा
चाय की चुस्की कुछ अलग अंदाज में ली जाये और इसका फ्लेवर भी अलग हो तो आनंद आ जायेगा। सोने पर सुहागा यह कि यह चाय औषधीय गुणों से लबरेज है। यानि सेहत भी दुरूस्त और स्वाद भी शानदार। खास बात यह भी है कि इससे खाली हाथों को काम अलग से मिलेगा। ऐसा ही कुछ कर रही है। इसे चाय का नाम है बिच्छू बूटी चाय। इस बार अल्मोड़ा के ताकुला ब्लाक के ग्राम पनेर गांव में ग्रामीणों को बिच्छू बूटी चाय बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। तीन दिनों तक चले इस प्रशिक्षण में करीब 270 लोगों ने इस चाय को बनाने के गुर सीखे। यह प्रशिक्षण दे रही है पर्वतीय विकास समिति चैलूसैंण, पौड़ी गढ़वाल। एचपीएमएफ मुंबई एवं टी कॉफी एसोसिएशन के मार्गदर्शन एवं सहयोग से, उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश में चलाए जाते हैं।
तीन दिनों तक चले इस प्रशिक्षण की अध्यक्षता ग्राम प्रधान नीमा देवी ने की। विकास खंड ताकुला के ग्रामसभा का़डे, कोतालगांव, खाड़ी,भकुना, डोटियालगावॅ,थापला, बीना आदि गांवों के महिलाओं व पुरुषों ने भागिदारी की। कोठारी पर्वतीय विकास समिति के अध्यक्ष सुनील कोठारी ने कहा कि अगर गावों को अगर बचाना है तो पहले यहां रोजगार की संभावना को तलाशना है, अगर रोजगार होगा तो पलायन रुकेगा। पहाड़ में रोजगार की संभावना बहुत ज्यादा है जरूरत है उन्हें पहचानने की और उनका उपयोग और बाजार की ब्यवस्था। हमारे यहां प्राकृतिक रूप से उत्पन्न जड़ी बूटी बिछु बुटी,नैटल की जानकारी व उससे चाय बनाने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया है।
कार्यक्रम में आए का़डे ग्राम सभा से गर्वित पंथ, राजेंद्र प्रसाद तिवारी, ग्राम खाड़ी से महेश पंथ डोटियाल गांव से भगवत सिंह,थापला गांव से कमलेश जोशी, भकुना से मीना बिष्ट, पनेर गांव से भावना लोहनी, अनिता लोहनी मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।जो किसी न किसी रूप से व्यवसाय कर अपने गांवों से जुड़े हैं, कार्यक्रम में इन लोगों ने अपने अपने बिचार रखे , सुनील दत्त कोठारी ने ग्राम प्रधान पनेरगाव नीमा देवी व ललित मोहन लोहनी , कार्यक्रम में आए सभी लोगों को धन्यवाद किया और कहा कि उनके द्वारा दिए प्रशिक्षण से रोजगार प्राप्त कर ताकुला श्रेत्र के विकास में अपना भरपूर योगदान दे।
अंत में नीमा देवी व सभी लोगों ने कोठारी को धन्यवाद कहा और उनको विश्वास दिलाया कि हम मिलजुल कर प्रयास करेंगे,हम अपने श्रेत्र के विकास और पलायन रोकने में मददगार उनके प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। उपरोक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 270 महिला एवं पुरुषों की भागीदारी दर्ज वही वही दिल्ली और अल्मोड़ा शहरों से भी लोगों ने इस कार्यक्रम में अपनी हिस्सेदारी एवं भागीदारी ली। उपरोक्त कार्यक्रम एचपीएमएफ मुंबई एवं टी कॉफी एसोसिएशन के मार्गदर्शन एवं सहयोग से, उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश में चलाए जाते हैं।