चला गया हिमालय का योद्धा| शोक की लहर| जगमोहन डांगी की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी


भारत-चीन युद्ध वर्ष 1962 के युद्ध बंदी सैनिक भगवान सिंह पंवार जिंदगी की जंग हार गये। 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने 12 अप्रैल को देर रात पौडी मण्डल मुख्यालय के नजदीक अपने पैतृक गांव केवर्स में अंतिम सांस ली थी। उनका अंतिम संस्कार 13 अप्रैल को श्रीनगर के अल्केश्वर घाट में अलकनंदा नदी पर किया गया। भगवान सिंह पंवार के निधन पर तमाम राजनीतिक व गैर-राजनीतिक संगठनो ने शोक जताया है।

घण्डियाल में पूर्व सैनिक संगठन एवं क्षेत्रीय युवा संगठन समिति ने एक शोक सभा आयोजन कर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। समिति के मीडिया प्रभारी जगमोहन डांगी ने बताया भगवान सिंह पंवार क्षेत्र के शहीद सैनिकों के स्मृति में होने वाले कार्यक्रमों हमेशा प्रतिभाग करते रहे। आम आदमी के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल कोठियाल ने भी भगवान सिंह पंवार के परिजनों को पत्र लिखकर अपनी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जल्दी वह उनके परिजनों को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान सिंह कभी बूढ़े नहीं हुये। वह हमेशा एक जवान की तरह फिट देखते थे। भगवान सिंह पंवार भारतीय सेना में एक वीर सैनिक के रूप में याद किए जाते हंै।

वर्ष 1962 में युद्ध के दौरान चीनी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया था छह माह के बाद उन्हें रिहा कर लिया गया था। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भगवान सिंह पंवार ने गांव को ही कर्मस्थली बनाया। वह लगातार समाजिक सरोकारों से जुड़े रहे हैं। वह रांसी स्टेडियम को भारत -चीन युद्ध के महानायक अमर शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम किए जाने को लेकर लगातार सरकार व विभागीय अधिकारियों से पत्राचार में जुड़े रहे। शहीद जसवंत की याद में सेना ने अरुणाचल प्रदेश में तवांग घाटी में एक चैकी को जसवंतगढ़ नाम दिया गया जहां उनका स्मारक भी है। पंवार के प्रयासों के बाद विगत तीन वर्ष पहले सरकार ने रांसी स्टेडियम का नाम शहीद बाबा जसवंत सिंह किया हैं।

पंवार अक्सर शहीद जसवंत सिंह एवं त्रिलोक सिंह नेगी जुड़ी किस्से कहानियों को बड़े ओज स्वर के साथ नम आंखों से बयां करते थे । उनका एक और प्रयास था कि जसवंत सिंह के साथी वीर सैनिक शहीद त्रिलोक सिंह नेगी जो असवालस्यू थैर की स्मृति में प्रसिद्ध मन्दिर का स्वागत द्वार आदि उनकी स्मृति में बने ताकि उन्हें भी याद किया जाये। उनके निरंतर ब्यासचट्टी स्थित ब्यासघाट भगवान वेद ब्यास ऋषि की तपोस्थली को लेकर भी पर्यटन सर्किट से जोड़ने का पत्राचार करते रहे जिस पर पूर्व में और वर्तमान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज प्रयासरत है। दो साल पहले उनके ज्येष्ठ पुत्र सुरेन्द्र सिंह का देहांत हो गया था।

वर्तमान में वह अपने पीछे पत्नी सुदामा देवी,पुत्र हीरा सिंह एवं स्वर्गीय सुरेन्द्र सिंह का परिवार को छोड़ गए। ज्ञात हो की श्रीनगर में उनका बहुत पुराना सैनिक होटल विख्यात है। जिसको उनका पोता संचालित करता हैं। उनको शोक संवेदना व्यक्त करने वालो में केवर्स रामलीला समिति के अध्यक्ष संदीप रावत,ग्राम प्रधान केवर्स कैलाश रावत ने बताया कि भगवान सिंह पंवार सेना सेवानिवृत्ति के बाद निरंतर आखरी सांस तक सामाजिक कार्यो से जुड़े रहे।

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पंवार के निधन पर गांव के ही राइका केवर्स के सभी अभिभावक एवं शिक्षकगण के अलावा पौडी विधायक राजकुमार पोरी,पूर्व विधायक एवं नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम,विहिप जिला महामंत्री मतंग मलासी,भाजपा जिला महामंत्री जगत किशोर बर्थवाल, विनोद बिष्ट,संतन सिंह, पूर्व प्रधानचार्य प्रेम सिंह रावत,प्रेस क्लब पौड़ी के अध्यक्ष अनिल बहुगुणा,अधिवक्ता महावीर सिंह रावत,घण्डियाल में शोक सभा में पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष राकेश रावत,पूर्व कैप्टन नरेंद्र सिंह नेगी,पूर्व सैनिक संजय रावत, पूर्व सैनिक राजेद्र प्रसाद नैथानी,पूर्व सैनिक सोहन सिंह रावत पूर्व सैनिक सुरजीत पटवाल,पूर्व सैनिक संतोष नैथानी,उम्मेद सिंह पटवाल,आदि मौजूद थे। वही सतपुली मलेठी स्थित ठाकुर सिंह चैाहान वृ़द्धाश्रम में भी भगवान सिंह पंवार को शोक सभा कर संवेदना व्यक्त की गई।

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