harak-episode|बिंडी खाणु जोगी बणयूँ , अर पैली रात भुक्खी रंयूँ |अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार
सिटी लाइव टुडे, अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार
जब नियति हरक को उनकी मुख्यमंत्री बनने की लालसा को पूरा होने के लिए जीवन का सबसे सहज मौका देने जा रही थी कि ठीक उसी से पहले हरक का ऐसा मतिभ्रम हुआ कि उन्होंने “हरीश भाई हरीश भाई” की रट लगानी शुरू कर दी, नतीज़तन भाजपा से उनकी अप्रत्यशित बेदखली का फरमान जारी हो गया।
चुनाव से पहले स्वघोषित सीएम बन चुके हरदा की तरह इस मर्तबा हरक भी चुनावी मौसम का अनुमान न लगा सके। जिस हरीश भाई की एक “हां” की खातिर तथाकथित शेर को उनके आगे कई बार दुम भी हिलानी पड़ी, वो “भाई” लाल कुंवा से बाहर न आ पाए और जिस “बहू” की खातिर अपना सियासी भविष्य व रुतबा दांव पर लगाया, वो भी कालों के डांडा के मैदान में चितपट्ट हो गईं।
अब नतीजों के बाद जिस तरह से भाजपा में सूबेदारी को लेकर नित नए समीकरण बन रहे हैं ऐसे में तय था कि यदि खुद हरक विधायक चुन कर आये होते तो इस मर्तबा वह कुर्सी के बेहद करीब या हो सकता था कि इस बार उनकी मुराद पूरी भी हो जाती।
लेकिन कहते हैं, सियासत में राजयोग बड़ा फैक्टर है, शायद इसीलिए ऐन वक्त पर इस सियासतदां की मति भ्रम हो गयी।
★यानी कि जब जोगी का भाग बाट आंदीन तब वो खारू लापोड़ दीन्द★