हरिद्वार ग्रामीण| आसान नहीं स्वामी की राह| पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर सियासी समीकरण उलझे-उलझे हुये हैं। इस सीट पर बसपा फैक्टर ने समीकरणों को उलझा रखा है। सिटिंग विधायक स्वामी की राह आसान नहीं है तो कांग्रेस की दिक्कतें बसपा ने बढ़ा रखी हैं। ऐन वक्त पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से बसपा ने समीकरणों को उलझा कर रखा है। स्वामी की राह में एंटी-इनकमबैंसी फैक्टर भी बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है।
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत कांग्रेस प्रत्याशी हैं। इसी सीट पर 2017 में पूर्व सीएम हरीश रावत चुनाव हार गये थे। उस वक्त देशभर में मोदी लहर भी चल रही थी जो इस बार अपेक्षाकृत ठंडी पड़ी है। भाजपा के सिटिंग विधायक स्वामी यतीश्वरानंद मैदान में हैंै। आम आदमी पार्टी से नरेश शर्मा भी सियासी मैदान में हैं। इस सीट पर आप के किसी बड़े उलटफेर की संभावना बहुत कम ही दिख रही है।
बसपा ने युनूस अंसारी को मैदान में उतारा है। अंसारी का वोट बैंक मुस्लिम व दलित माने जा रहे हैं। बसपा प्रत्याशी से बड़ा खतरा कांग्रेस को है। यदि बसपा ने मुस्लिम वोटरों पर सेंधमारी की तो इससे कांग्रेस की दिक्कतंें बढ़नी तय है। सियासी पंडितों की मानें तो हरिद्वार ग्रामीण सीट पर मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में ही है और कांटे की टक्कर है।
खास बात यह है कि भले ही 2017 में स्वामी यतीश्वरानंद ने पूर्व सीएम हरीश रावत को पराजित कर दिया था लेकिन इस बार स्वामी के लिय हालात एकदम अलग हैं। मोदी लहर का असर इस बार बहुत ही कम है। विगत दिनों खनन को लेकर स्वामी तमाम आरोपों से घिरे रहे। सत्ता रहते हुये उन्हें तमाम सवालों से दो-चार होना पड़ रहा है। जनता से सीधे जुड़ने व अपना बनाने का हुनर भी स्वामी में खलता रहा है। बहरहाल, हरिद्वार ग्रामीण सीट पर स्वामी की राह आसान नहीं है तो कांग्रेस के लिये खासी चुनौतियां हैं।