कल्जीखाल| दिव्यांगजन निराश| केवल दो को ही मिला प्रमाण-पत्र| कल्जीखाल से जगमोहन डांगी की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी-कल्जीखाल
बहुउद्देशीय शिविर से जो उम्मीदें थीं वह धड़ाम हुयी हैं। दिव्यांगों ने उम्मीदें रखीं थी वह पूरी नहीं हुयी। लिहाजा, निराश होना स्वाभविक ही है। 36 पंजीकरण होने के बाद महज दो दिव्यांगों को प्रमाण-पत्र दिया गया है। दिव्यांगों के परिजनों ने गठित मेडिकल पैनल पर सवाल उठाया है। परिजनों का कहना है कि केवल एक अर्थाे सर्जन के भरोसे परीक्षण किया गया जो उचित नहीं है।
विदित हो कि प्रमुख सचिव उत्तराखण्ड के आदेशों के अनुसार सभी जनपदों में प्रत्येक विकास खण्डों में बिंदुवार बहुउद्देश्यीय शिविरों का आयोजन के लिए जिलाधिकारी के निर्देशों के अनुसार इन दिनों सभी विकास खण्डों में समाज कल्याण विभाग के तत्वावधान में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र द्वारा दिव्यांगजनो के लिए बहुउद्देश्यीय दिव्यांग शिविर आयोजन किया जा रहा है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाये जाने साथ दिव्यांगजनो को यूडीआईडी कार्ड दिव्यांग परिचय पत्र ऑन लाइन आवेदन भी करवाया जा रहा हैं।
बाकायदा इसके लिए समाज कल्याण विभाग एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने ब्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार भी करवाया गया लेकिन आज कल्जीखाल ब्लॉक में वीरवार कको बहुउद्देश्यीय दिव्यांग शिविर में दिव्यांगों को निराशा हाथ लगी दूर-दराज से आए दिव्यांगजनो उनके परिजनों जो बड़ी उम्मीद और अपेक्षा से दिव्यांगों को शिविर तक लाए शिविर में 36 दिव्यांगों ने पंजीकृत करवाया लेकिन शिविर में उपस्थित मेडिकल पैनल ने केवल दो दिव्यांगों को दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किया। शिविर में 5 ऑनलाइन यूआईडीआई परिचय पत्र बनवाने के लिए आवेदन भी जमा करवाए गए। इस बहुउद्देश्यीय शिविर में दिव्यांगों के परिजनों ने गहरी नाराजी जाहिर की मेडिकल प्रशिक्षण में केवल ऑर्थो सर्जन के अलावा और कोई चिकित्सा विशेषक मौजूद नही थे।
सुरालगांव (भेटी) से आई दिव्यांग महिला गुड्डी देवी चार साल पहले वह पेड़ से गिर गई थी एक पांव आज भी जख्मी है। चल फिर नही सकती उसका पति धर्मपाल भी मानसिक दिव्यांग है। दोनो का प्रमाण पत्र नही बना चिकित्सको ने उन्हें श्रीनगर जाने कहा। हरेन्द्र सिंह पटवाल फलदा दिव्यांग है। उसे समाज कल्याण विभाग से दिव्यांग पेंशन भी मिलती हैं। लेकिन उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र स्थाई हैं। उसको रिनिवल होना था इसी प्रकार सचिन और अशोक सिंह सुतारगांव मानसिक एवं शारिरिक दिव्यांग हैं। उन्हें भी बैरंग लौटना पढ़ा उन्हें भी चिकित्सकों ने श्रीनगर एवं पौड़ी जाने को कहा शिविर में केवल चिकित्सको द्वारा पुराने चिकित्सको के जांच रिपोर्ट के आधार पर ही दिव्यांग प्रतिशत तय किया जा रहा था।
शिविर में मुख्यतिथि कनिष्ठ प्रमुख अर्जुन सिंह पटवाल ने भी कहा कि शिविर में जांच की तकनीकी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि जनता को इस शिविर का लाभ हो। ऐेसे में तो समय और सरकारी धन का दुरप्रयोग हैं। वही घण्डियाल स्वास्थ्य सामुदायिक केन्द्र प्रभारी डॉक्टर आशीष गुसाई ने बताया कि तकनीकी विषय हैं। सम्बंधित चिकित्सक पर निर्भर हैं। वह जांच के बाद ही दिव्यांग को कितना प्रतिशत आंकलन करते हैं। अधिक दिव्यांग जन यही चाहते कि उन्हें 40 प्रतिशत अनफिट प्रमाण पत्र मिल जाए ताकि सरकारी सुविधाओं का लाभ उन्हें मिल जाये। इस अवसर सहायक समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली पीएलवी एवं सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी सहित कई प्रधान मौजूद थे।