आश्रम पर कब्जे को लेकर संतों और ट्रस्टियों में विवाद | विकास झा की रिपोर्ट

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स्वामी परमानंद उदासीन आश्रम , हरिद्वार की महंताई को लेकर ट्रस्ट और अखाड़े के सन्यासी आमने-सामने है। एक ओर जहां ट्रस्टियों ने स्वामी हंसा राम को महंत मानने से इनकार कर दिया है। वहीं श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के संतो ने ट्रस्ट के अधिकार को गैरकानूनी बताते हुए कोर्ट में जाने की धमकी दी है।

गौरतलब है कि श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन की ओर से सोमवार को हरिसेवा उदासीन आश्रम भीलवाड़ा राजस्थान के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन को हरिद्वार स्थित स्वामी परमानंद उदासीन आश्रम , मायापर , श्रवणनाथ नगर हरिद्वार उत्तराखंड का महंत नियुक्त किया था। अखाड़े के गणमान्य संत महंतों की मौजूदगी में उन्हें महंताई की चादर सौंपी गई।


इसके अगले दिन आश्रम के ट्रस्टी ने महंताई को अवैध बताते हुए समाचार पत्रों में खंडन प्रकाशित करवाया । इसको संज्ञान में लेते हुए श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के संत महंतों ने गुरुवार को हरेराम आश्रम में पत्रकार वार्ता आयोजित की।


हरे राम आश्रम कनखल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के प्रवक्ता महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, कोठारी महंत दामोदर दास, व महंत गंगा दास ने एक स्वर में घटना की निंदा की। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि स्वामी परमानंद ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी परमानंद ने ट्रस्ट नियमावली संख्या 6 में स्पष्ट लिखा है कि उनके ब्रह्मलीन होने के बाद ट्रस्ट के अध्यक्ष व मंत्री उदासीन साधु को ही बनाना होगा। जिसमें उनके बाद स्वामी योगेंद्र आनंद महाराज को उनके समान अधिकार प्राप्त होंगे। ट्रस्ट सदस्यों की रिक्त स्थान की पूर्ति साधुओं के स्थान पर योग्य उदासीन साधु, गृहस्थी के स्थान पर उपयुक्त गृहस्थी भक्त, जिसमें 6 गृहस्थी और 3 संत होंगे और उत्तराधिकारी परम्पराओं से नियुक्त करते रहेंगे। लेकिन ट्रस्ट का अध्यक्ष और मंत्री किसी योग्य विद्वान व सदाचारी बड़े अखाड़े के साधुओं को ही बनाया जाएगा।


लेकिन इस डीड का तत्कालीन ट्रस्ट के समिति सदस्यों ने पालन नहीं किय । फर्जी तरीके से अपने सदस्यों में से मंत्री, अध्यक्ष घोषित किया है। जो असंवैधानिक है। इसके बाद मजबूरन पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन भेष भगवान षड दर्शन साधु समाज की सर्वसम्मति से स्वामी परमानंद ट्रस्ट समिति का अध्यक्ष महंत महामंडलेश्वर हंसाराम शिष्य बाबा गंगाराम महाराज को तिलक चादर देकर आश्रम का महंत बनाया गया। इसके विरोध में दैनिक समाचार पत्र में एडवोकेट गुरप्रीत सिंह ने ब्राह्मण समाचार प्रकाशित करवाया की उदासीन संप्रदाय का अखाड़े से कोई संबंध नहीं है

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इसका पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन पुरजोर विरोध करता है और एडवोकेट साहब को सलाह देता है कि स्वामी परमानंद द्वारा निष्पादित ट्रस्ट डीड के अनुसार उदासीन साधु ही मंत्री और अध्यक्ष रह सकते हैं। ऐसा नहीं होने विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की तैयारी कर रहा है। बाबा हठयोगी ने कहा ट्रस्टियों का काम आश्रम की सेवा करना है । उस पर कब्जा करना नहीं। इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद देव महाराज, रविदेव शास्त्री, सहित अन्य गणमान्य संत मौजूद रहे।

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