” ये सेहतवाणी है ” Haridwar के इन अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध होगी मर्म चिकित्सा| Click कर पढ़िये पूरी News

Share this news

सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस

अच्छी खबर है हरिद्वार जनपद में आयुष चिकित्सा को और अधिक प्रभावशाली एवं बहुआयामी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब जिला चिकित्सालय हरिद्वार एवं रुड़की सहित हरिद्वार जनपद के विभिन्न आयुष चिकित्सा केन्द्रों में पंचकर्म चिकित्सा के साथ-साथ मर्म चिकित्सा का भी समावेश किया जाएगा। इस क्रम में आज जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश के निर्देशन में पंचकर्म तकनीशियनों के लिए एक दिवसीय मर्म चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।



‎कार्यशाला का शुभारंभ ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी, हरिद्वार में भगवान धन्वंतरि की पूजा एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर अधीक्षक डॉ. अशोक तिवारी, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. नवीन दास, राष्ट्रीय आयुष मिशन के जनपद नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुनील रतूड़ी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. घनेन्द्र वशिष्ठ एवं मर्म चिकित्सा प्रशिक्षक डॉ. पंकज बच्चस मंच पर उपस्थित रहे।



‎गौरतलब है कि डॉ. पंकज बच्चस वर्तमान में राजभवन उत्तराखंड में मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं और उनके द्वारा ही इस विशेष कार्यशाला में प्रतिभागी पंचकर्म तकनीशियनों को मर्म चिकित्सा का सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से मर्म चिकित्सा के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक पक्ष को सरल शैली में प्रस्तुत किया। प्रशिक्षण में मर्म बिंदुओं की पहचान, उन्हें उत्प्रेरित करने की तकनीक, तथा विभिन्न व्याधियों में उनके चिकित्सीय लाभों की गहराई से जानकारी दी गई। कार्यशाला में नंदलाल, कोमल देवी, रामकुमार, वर्षा चौहान एवं राज किशोर जैसे पंचकर्म सहायकों को सटीक तकनीकी ज्ञान के साथ मर्म चिकित्सा का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे भविष्य में वे अपने-अपने चिकित्सा केंद्रों में इस विशिष्ट पद्धति को लागू कर सकेंगे।



‎कार्यक्रम का संचालन डॉ. घनेन्द्र वशिष्ठ द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न किया गया, जबकि आयुष्मान आरोग्य मंदिर सालियर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. नवीन दास एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिर जगजीतपुर के विनय द्वारा आयोजन में सक्रिय सहयोग प्रदान किया गया।



‎कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. अशोक तिवारी ने कहा कि “मर्म चिकित्सा भारतीय चिकित्सा पद्धति की वह धरोहर है जो शारीरिक, मानसिक एवं स्नायु संबंधी रोगों में चमत्कारिक परिणाम देने की क्षमता रखती है। पंचकर्म के साथ मर्म चिकित्सा का समावेश एक क्रांतिकारी पहल है।”



‎ऋषिकुल परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परामर्श आयुर्वेद चिकित्सक एवं जनपद नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने मर्म चिकित्सा के शास्त्रीय आधार एवं चिकित्सीय परिणामों पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार जोशी द्वारा किए गए शोध एवं प्रयासों को सम्मानपूर्वक साझा किया।



‎आयुष्मान आरोग्य मंदिर बिहारीनगर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनेन्द्र वशिष्ठ ने प्रशिक्षण कार्यशाला के सभी प्रबंधन दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए यह सुनिश्चित किया कि सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण का पूर्ण लाभ प्राप्त हो।

ad12



‎इस कार्यशाला के आयोजन से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि आयुष चिकित्सा पद्धति को जनपद स्तर पर और अधिक व्यावहारिक, प्रभावी एवं आधुनिक संदर्भों से जोड़ने की दिशा में ठोस प्रयास जारी हैं। पंचकर्म तकनीशियनों को मर्म चिकित्सा से सशक्त करना, आयुष सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का आधार बनेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *