Doon Samachar…नेपाली भाषा में हुआ ” गीता ” का अनुवाद |Click कर पढ़िये पूरी News

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-

देहरादून, 8 अप्रैल। अखिल भारतीय नेपाली भाषा समिति और उत्तराखंड राज्य नेपाली भाषा समिति द्वारा देहरादून स्थित डांडी नेहरूग्राम में आचार्य कृष्ण प्रसाद पंथी रचित “कृष्णामृत प्रबोधिनी” पुस्तक का भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया। यह पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता का नेपाली श्लोकानुवाद है।

“कृष्णामृत प्रबोधिनी” का भव्य विमोचन समारोह सम्पन्न


इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार पी. एन. राई को नेपाली साहित्य में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित भानु पुरस्कार भी प्रदान किया गया। उन्होंने पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि यह सम्मान मेरे लिए नहीं बल्कि नेपाली भाषा और साहित्य के लिए है। डा. भूपेन्द्र अधिकारी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का नेपाली श्लोकों में अनुवाद करना कठिन कार्य है, लेकिन आचार्य पन्थी ने इस असंभव कार्य को संभव कर दिखाया है। कर्नल बिक्रम थापा ने कहा कि हम सैनिक शास्त्र और शास्त्र अनुयायी हैं और यह कृष्ण द्वारा दिया गया संदेश है। इस मौके पर गोरखाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम् सिंह थापा ने नेपाली भाषा साहित्य के उन्ननयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त किया ।


लेखक आचार्य कृष्ण प्रसाद पंथी ने अपने उद्बोधन में गीता को जीवन का मार्गदर्शन करने वाली वाणी बताया। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ युद्धभूमि का संवाद नहीं, जीवनभूमि की दिशा है, जिसे उन्होंने सरल नेपाली छंदों में ढालने का प्रयास किया है ताकि सामान्य जन और नई पीढ़ी भी इसका लाभ उठा सकें। वरिष्ठ शिक्षाविद कृष्ण प्रसाद ढकाल ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि “कृष्णामृत प्रबोधिनी” केवल एक साहित्यिक कृति नहीं, अपितु भारतीय चिंतन की उस धारा का सरल अनुवाद है जो नेपाली मानस तक सहजता से पहुँचता है।


इस मौके पर समाजसेवी इन्दिरेश उपाध्याय, अशोक बल्लभ शर्मा और श्याम राणा के साथ विद्वान वक्ता रामप्रसाद गौतम, पं. रामप्रसाद मरासिनी तथा रामप्रसाद पन्थी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन भाषाविद डॉ० दिनेश शर्मा द्वारा किया गया और संयोजन हरि श्रेष्ठ तथा महेन्द्र श्रेष्ठ ने किया और अंत में, पुस्तक के अंशों का पाठ हुआ।

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इस प्रकार देहरादून में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल साहित्यिक उपलब्धि का प्रतीक था, बल्कि विभिन्न संघ-संथाओं की एकजुटता और उत्साही लोगों की सघन उपस्थिति से यह भाषा, संस्कृति और आध्यात्मिक विचारों के समन्वय का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया।

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