Kotdwar News..सुषमा जखमोला @ बेजुबान पशुओं की सेवा को समर्पित कर दिया जीवन| कमल उनियाल की Report

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-कमल उनियाल


गौ रक्षा की बुलंद आवाज के बीच स्याह हकीकत यह भी है कि आज भी गौ रक्षा के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। पहाड़ की बात करें तो यहां भी गाय को केवल दूध प्राप्त करने का जरिया तक ही सीमित माना जा रहा है। लेकिन हैं अभी कुछ बिरले जिनके मन में पशु प्रेम का दीप प्रज्ज्वलित हो रखा है। कोटद्वार की सुषमा जखमोला ऐसी ही हैं। इनको तीलू रौतेली पुरष्कार से भी नवाजा जा चुका है। आइये इस खबर में जानते हैं सुषमा जखमोला और इनके गौवंश की सेवा के बारे में। खबर में अंत तक बने रहिये और शेयर भी जरूर कीजियेगा।

सुषमा जखमोला आकृति गौ सेवा आश्रम की संस्थापिका हैं ये आश्रम पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में है। सुषमा जखमोला जो कि एक प्रतिष्ठित और संपन्न परिवार से है। उनके बच्चे विदेश में नौकरी करते हैं और उन्होने खुद सरकारी नौकरी छोडकर बेजुबान पशुओं की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया।


कोटद्वार के मोटाढाक स्थित आकृति गौ सेवा आश्रम की स्थापना उन्होने करीब पन्द्रह साल पहले की थी। आज इस गो सदन में 250 से उपर पशु है। तीन बीघा जमीन में फैला यह गौ सदन निराश्रित पशुओं गाय बछड़े, बीमार कुत्तो के लिए आसारा बन चुका है। इस गौ सदन में बीमार चोटग्रस्त, घायल पशुओ का इलाज किया जाता है। ममतामयी सुषमा जखमोला जब गाय बछड़े को उनके नाम से पुकारती है तो ये बेजुबान पशु उनके पास स्नेह से
राँभते हुए आते हैं मानव और पशु प्रेम का इस निश्छल प्रेम देखकर मन भाव विभोर हो जाता है।


सड़कों पर घायल पशुओं का रेस्कूय किया जाता है गौशाला में सुषमा जखमोला उनका उपचार किया जाता है जैसे बच्चे के बीमार होने पर माँ बच्चे की सेवा में लीन हो जाती हैं। उनको गोवंश की सेवा के लिए तीलू रोतेली पुरस्कार से भी नवाजा गया है। बूँखाल मेले में पशुबली रोकने में उन्होने अग्रणी योगदान दिया इसलिए उन्हें अनेक बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया साथ में वे पशुओ के संरक्षण के लिए जनजागरूता अभियान भी चलाती है।

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गायो के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाली सुषमा ने बताया कि इनकी सेवा के लिए उनके बच्चे अपनी कमाई के दस प्रतिशत धन दान देते हैं ताकि इस गोवंश के संरक्षण में कमी न आये। साथ में उन्होने दुख प्रकट किया कि कुछ लोग सिर्फ प्रवचनो में गाय की महिमा सुनाते है और गोवंश के नाम पर पैसा वसूलते है जबकि धरातल में कुछ नहीं करते है। इस गोसदन में पाँच लोगों को वेतन पर गोसेवा के लिए रखे हुये है बहुत कम देखने में मिलता हैं कि हमारे समाज में सुषमा जखमोला जैसी विभूति भी है जो आर्थिक रुप से संपन्न के बाद भी गोसेवा के प्रति निछावर हैं जो कि एक बहुत बडी मिसाल हैं।

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