Pauri News…घंडियाल समेत मनियारस्यूं के ग्रामीणों के ” हलक सूखे “| गहराया पेजयल संकट| जगमोहन डांगी की Report
सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी गढ़वाल
तन झुलसाती गर्मी में पानी भी रूला व सता रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक कई क्षेत्रों में इन दिनों पेयजल संकट गहराया हुआ है। अपने पौड़ी जनपद में भी जल संकट की खबरें आ रही हैं। पौड़ी जनपद के घंडियाल समेत पूरे मनियारस्यूं क्षेत्र में पानी के लिये त्राहिमान त्राहिमान मचा हुआ है। अपफसोस यह है कि जिम्मेदार विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
ऐसे में इन दिनों पहाड़ आये प्रवासी भी वापस जाने में भी भलाई समझ रहे हैं।ऐसे में ग्रामीण कई किलोमीटर पैदल जाकर स्रोतों से पानी लाने को विवश हैं।
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घंडियाल व मनियारस्यूं क्षेत्र की ही बात करें तो यहां 30 करोड़ की लगात की चिनवाड़ी पंपिंग योजना भी प्यास नहीं बुझा पा रही हैं। पौड़ी जनपद के अधिक आबादी वाले गांव घंडियाल गांव जो एक बड़े कस्बे में तब्दील हो गया इसके अलावा क्षेत्र के हमेशा पेयजल संकट से प्रभावित गांव गढ़कोट पाली,घंडियाल,बुटली, धारी ओलाना,डांगी, बनेख,पंडोरी कालेथ आदि गांव पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं। इन दिनों सभी गांवों में भारी मात्रा में प्रवासी लोग गर्मी से बचाने और गर्मियों की छुट्टियों में गांव आ रखे है। कही गांवो मे आजकल देवी देवताओं का पूजन आदि कार्य भी चल रहे है।
लगातार भीषण गर्मी और जंगलों में लगातार आग की तपस के कारण प्राकृतिक जल स्रोत सुख गए जिसका कारण पेयजल की गंभीर संकट बना हुआ है। क्षेत्र की करोड़ों की लगात की बनी चिनवाड़ी डांडा पंपिंग योजना का पानी भी नियमित नही मिल रहा है। इसका पानी जरूरतमंद वाले गांवों की वजह क्षेत्र के सबसे निचले इलाकों के गांवो में जा रहा है। जहां पहले ही पर्याप्त मात्रा में पानी है। पेयजल किल्लत को लेकर विभाग और जनप्रतिनिधि कोई गंभीर नहीं हैं। जिस कारण प्रवासी वापस प्रदेश लौट रहे है। प्रवासियों का यह तक कहना इसी वर्ष पंचायत चुनाव में प्रतिनिधियों को वोट देने नही आऐंगे ज्ञात हो की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रवासी वोटर अहम भूमिका निभाते है। युवा समाजसेवी अशीष गुसाई कहते उनके गांव बुटली में पूजा आदि के चलते भारी संख्या में प्रवासी गांव आए है। लेकिन पानी नही होने के कारण सामूहिक भंडारा तक स्थगित करना पढ़ा। गांव में सड़क की सुविधा नहीं जो निजी टैंकर मंगा दे गांव केवल जल संस्थान की योजना पर ही निर्भर है। यह दो किलोमीटर प्राकृतिक स्रोत पर यही हाल गढ़कोट गांव की भी है।
जहां भारी संख्या में प्रवासी लोग गांव आए है। वरिष्ठ नागरिक धीरेंद्र सिंह रावत बताते है। जल संस्थान को एक दिन छोड़ कर टैंकर से पानी आपूर्ति करनी चाहिए। समाजिक कार्यकर्ता जसवीर रावत बताते उनका गांव को तो मई जून में चिनवाड़ी डांडा और जल संसाधन की लूप लाइन का पानी आजतक कभी नहीं मिला पूरा गांव एक हैंड पंप और प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर है। इसी लिए उनके गांव में शादी विवाह धार्मिक आयोजन नवंबर दिसंबर में करते हैं ताकि उस समय पानी का संकट न हो जल संसाधन के कोई भी अधिकारी पानी की भारी किल्लत को लेकर गंभीर नहीं हैं। समाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी बतातें हैं कि जब मंडल मुख्यालय में ही पानी नही मिल रहा तो अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से ग्रामीण क्षेत्र की उम्मीद करना बेमानी होगी।