pauri| डांगी के धर्मपाल बोले ” कब आयेंगे अच्छे दिन “| जगमोहन डांगी की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी


अच्छे दिन आने वाले है। यह सुनकर धर्मपाल की आस को भी पंख लगे थे कि अब तो काम बन जायेगा। लेकिन आखिरकार धर्मपाल निराश ही हुआ है। धर्मपाल का परिवार क्षतिग्रस्त झोपड़ी में रहने को विवश है। अनुसूचित जाति से तालुक रखने वाले धर्मपाल की व्यथा की कथा सुनने को कोई तैयार ही नहीं है। सरकारी योजनाओं के तहत बनने वाले आवास की दरकार है।

अपने उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के विकास खंड कल्जीखाल के पट्टी मनियारस्यूं के डांगी गांव का यह मामला है। सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार जगमोहन डांगी भी इसी गांव के हैं। सरकारी योजनाओं के तहत जरूरतमंद गरीब अनुसूचित जाति के लोगो के लिये इंदिरा आवास, अटल आवास योजनायें संचालित हैं। लेकिन डांगी गांव के धर्मपाल के लिये ये योजनायें बेमानी साबित हो रही है।

आलम यह है कि धर्मपाल सिंह जान जोखिम में डालकर अपने नाबालिक परिवार के साथ झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। धर्मपाल को आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना की आस में उम्मीद हैं। जबकि उसकी क्षतिग्रस्त झोपड़ी का जियो टैक किए हुए चार साल हो गए और वह स्वयं समय-समय पर सीएम हेल्प लाईन पर आवास के लिए जानकारी लेता रहता हैं। उसे हमेशा ही आश्वासन की मीठी गोेली ही मिलती रहती है।

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हमारे संवाददाता जगमोहन डांगी दिन डांगी गांव के भ्रमण पर हैं तो उन्होंने धर्मपाल की व्यथा की कथा को करीब से सुना और जाना। पता चला कि धर्मपाल का कोई भी राशनकार्ड नहीं है। उसने अपने दो बालकों के बालिक होने पर अंत्योदय राशन कार्ड ईमानदारी से सरकार के तुगलकी फरमान के कारण जमा कर दिया था उसकी जगह में उन्हे कोई भी राशन कार्ड खाद्य विभाग ने निर्गत नहीं किया। उन्हंे आज भी बाहरी दुकान से महंगी दामों पर जरूरतमंद राशन खरीदनी पढ़ती हैं। क्या यही अच्छे दिन हैं।

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