जय तूँगनाथ | यहां बन जाती है हर ” बिगड़ी ” बात| द्वारीखाल कमल उनियाल की रिपोर्ट

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सिटी लाइव टुडे, कमल उनियाल , द्वारीखाल


उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही वेदभूमि भी कहा जाता है। यहां के कण-कण में देवत्त्व का वास होता है। मठ-मंदिरों की यहां भरमार है और इसके महत्व की थाह लेना आसान नहीं है। ऐसा ही पावन स्थान विकास खंड द्वारीखाल के निकटवर्ती गाँव ग्वीन छोटा में तूँगनाथ जी का प्रसिद्ध सिद्धपीठ मंदिर है। बारह साल बाद तूँगनाथ जी की महापूजा जात का भव्य आयोजन किया जाता है। इसकी मान्यता हरिद्वार,उज्जैन, प्रयागराज वाराणसी व नासिक के कुँभ की तरह रैवासियांे व प्रवासियों के लिए विषेश महत्वपूर्ण है।


12 तथा 13 मई को होने वाले इस महाजात मे देश के विभिन्न प्रदेशों मे बसे उनियाल व रावत बंधु असीम आस्था से लवरेज ढोल दमाऊँ के साथ पाँव नृत्य करते हुए भगवान तूँगनाथ के दर्शनार्थ एकत्र होकर उनके आशीर्वाद से जीवन सार्थक बनाते है,तथा अध्यात्म के रंग मैं रंग जाते है। रैवासियों व प्रवासियों के मिलन से सिद्धपीठ तूँगनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है व महाजात का आध्यात्मिक आयोजन होता है।

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गाँव के निवासी सूबेदार वीरेंद्र उनियाल, रसपाल उनियाल, मनोहर सिंह इस मंदिर की पौराणिक कथा बताई कि तूँगनाथजी का मुख्य स्वरुप लिंग ग्राम ओलना से नदी मे बह कर आया था क्योंकि वहाँ उचित स्थान वातावरण उपयुक्त नही होने के कारण नदी में बह गए,औऱ हमारे गाँव के एक बृद्ध व्यक्ति के सपने में आये। उनियालों व रावतों ने उस पवित्र लिंग को लाकर भगवान के रूप में पवित्र स्थान ग्वीन छोटा में स्थापित कर दिया। तभी से हर बारह वर्षों के पश्चात महाजात का भक्ति व आश्था के साथ आयोजन होता है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रवल उनियाल व कल्याण सिह, गणेश उनियाल, हुकम उनियाल ने इस महापूजा में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने का आह्वान किया है।

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