बड़ा सवाल |कौन देगा इस बेबस बुढ़ापे को सहारा | जयमल चंद्रा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, पौड़ी गढ़वाल
कुदरत के भी रंग निराले हैं। किसी के पास हद से ज्यादा है तो कोई दाने-दाने को मोहताज। ऐसे भी अभागे हैं जिनको अपनों का पता ही नहीं है। ना जाने क्यों अपनों ने इतनी दूरी बना ली है कि अब ये अकेले और तन्हां ही रहते हैं। सहारा मिलेगा तो किसका और कब तक। कुछ ऐसी ही कहानी है जनपद पौड़ी के रिखणीखाल की इस बजुर्ग महिला की। व्यथा की कथा सुनोंगे तो आंस भर आयेगी। अब सवाल यह उठता है कि सरकारी दावे व योजनायें कहां हैं। क्या समाज इतना संवेदनहीन हो चुका है। बहरहाल, दिल्ली के समज सेवी राम चंद्रा तक यह व्यथा की कथा पहुंची तो उन्होंने पौड़ी डीएम को खत लिख डाला है। खत में जिलाधिकारी को सारी व्यथा बतायी गयी है और साथी हरसंभव सहायता मुहैया कराने की गुहार भी लगायी गयी है।
जिलाधिकारी पौड़ी को लिखे गये खत में बताया गया है कि कि ग्राम सभा कण्डिया मल्ला, रिखणीखाल ब्लाक की लगभग 83-84- वर्षीय बुजुर्ग महिला श्रीमती कमला देवी जी (पत्नी स्व० विशन दत्त) जिसका जर्जर घर मुख्य गांव से हटकर दूर एकांत स्थान पर और वहां पर उसकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं था। क्योंकि उसके परिवार के सदस्यों का पता ही नहीं कि वे गांव छोड़ कर कहां चले गए। काफी समय तक गांव वाले ही उसकी मदद करते रहे। परंतु अब उक्त बुजुर्ग महिला वहां न रहकर रोड साइड मोटर शेड में रहने लगी है। वहां पर भी गांव वाले ही उसे भोजन सामग्री देते रहते हैं। जिससे वह कभी-कभी स्वयं ही किसी तरह से अपने लिए खाना बना लेती हैं।
अब परेशानी की बात यह है कि रोड साइड पर रहने वाली उक्त बुजुर्ग महिला के साथ रात में लूट खसोट आदि कई की दुर्घटना को असामाजिक तत्व अंजाम देते हुए महिला के जीवन से खिलवाड़ कर सकते हैं। दूसरा रात में गांव में अक्सर बाघ, भालू और जंगली सूअर आते जाते रहते हैं। इससे बाघ द्वारा उसे अपना निवाला बनाए जाने की पूरी संभावना रहती ही है।
भालू और जंगली सूअर भी उसे घायल भी कर सकते हैं या उसे मार भी सकते हैं। ऐसा इसलिए भी कि उक्त बुजुर्ग महिला दिन रात वहीं पर सड़क के किनारे रहती है और रात में तो वहां कोई भी नहीं होता, तो किसी प्रकार की मदद भी नहीं दी जा सकती। अतः उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए आपसे नम्र निवेदन है कि संबंधित अधिकारियों को उक्त बुजुर्ग महिला के खान-पान, आर्थिक एवं रक्षा हेतु उचित कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं ताकि जीवन बचाया जा सके।