यमकेश्वर| योगी की जन्मभूमि में अभी भगवा रंग थोड़ा फीका|साभार-वरिष्ठ पत्रकार अजय रावत
सिटी लाइव टुडे, यमकेश्वर
पौड़ी जनपद की यमकेश्वर विस सीट पर फ़िलवक्त जमीनी हवाएं कांग्रेस के लिए मुफ़ीद हैं, हालांकि मौजूदा विधायक श्रीमती ऋतु भूषण खंडूरी ने भी अब अपने अभियान को धार देनी शुरू कर दी है,जिसका असर भी अब थोड़ा नज़र आने लगा है।
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इस सीट पर कांग्रेस की बात की जाए तो शैलेन्द्र सिंह रावत निःसंदेह स्वाभाविक दावेदार हैं। हरीश रावत कैम्प के माने जाने वाले शैलेन्द्र बीते 5 साल लगातार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाये रखे हैं। बेहद सौम्य व्यवहार वाले चौंदकोट के इस लाल का जनसंवाद बेहतरीन है। वहीं टिकट पाने में इनका सबसे बड़ा पक्ष यह है कि वह 2017 में इसी सीट पर मजबूती के साथ लड़े हैं और साथ ही यमकेश्वर के अलावा कोटद्वार सीट पर भी शैलेन्द्र कांग्रेस की सेहत बनाने या बिगाड़ने की कुब्बत रखते हैं। इतना ही नहीं यदि कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार किया तो इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वह ऐन वक्त पर घर वापसी कर कोटद्वार में सुरेंद्र नेगी की अभी तक लगभग पक्की मानी जा रही जीत पर ग्रहण न लगा दें।
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वहीं नए उभरते फायर ब्रांड नेता महेंद्र सिंह राणा की आक्रामक शैली उनके पक्ष को मजबूत करती है। कल्जीखाल और द्वारीखाल की पिच पर एक साथ जबरदस्त अजेय बैटिंग करने वाले महेंद्र भी पिछले 2 साल से यमकेश्वर में बतौर प्रत्याशी जबरदस्त प्रचार अभियान चलाए हुए हैं। द्वारीखाल की कमान संभालते ही ब्लॉक मुख्यालय की तस्वीर बदलने को फेस बनाकर महेंद्र ने वहां की जनता के बीच अपनी काबिलियत दिखाने का सफल प्रयास किया है। वहीं युवक व महिला मंगल दलों के साथ स्कूली बच्चों को लगातार संसाधन मुहैय्या कराने की रणनीति के चलते बच्चे बच्चे पर महेंद्र का नाम निश्चित रूप से पंहुच चुका है। चुनावी प्रपंचों के खिलाड़ी महेंद्र का नकारात्मक पहलू हरीश रावत का चुनाव संचालन समिति का मुखिया होना है। बावजूद इसके महेंद्र अपने टिकट व जीत के प्रति आश्वस्त नज़र आते हैं।
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वहीं, भाजपा की मौजूदा विधायक ऋतु भूषण खंडूरी अपने जरनल पिता की तरह ही सम्भव को हां और असम्भव को ना कहने की आदत से जनता के मध्य थोड़ा नाराजगी का शिकार अवश्य हुई हैं, किन्तु बावजूद इसके, पिता की छवि उनकी काफी मददगार साबित होती है। योगी आदित्यनाथ की जन्मस्थली होने के कारण निश्चित रूप से योगी की छवि उन्हें चुनावी फायदा पंहुचा सकती है, यदि प्रचार के दौरान उनके क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ की जनसभा होती है तो यह उनके लिए बेहद लाभकारी भी हो सकता है। साथ ही इस विस में ब्राह्मण वोटरों की अच्छी खासी तादात उनकी संभावनाओं को बल प्रदान करती है। सबसे बड़ी बात वह पार्टी से इस सीट पर अकेली दावेदार हैं।
शैलेन्द्र व महेंद्र में से किसी एक को टिकट मिलने की दशा में यदि कोई दूसरा बागी होता है तो 2017 के परिणाम की ही पुनरावृत्ति तय है किंतु यदि शैलेन्द्र और महेंद्र एक जुट कांग्रेस के लिए काम करते हैं तो ऋतु भूषण को अपनी विधायकी बचाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे।