जानियेगा जनरल बिपिन रावत के पराक्रम व शौर्यगाथा का सफर|विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, विकास श्रीवास्तव
जनरल बिपिन रावत मूल रूप से जनपद पौड़ी-गढ़वाल के रहने वाले थे। उनके पिता सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे। जनरल बिपिन रावत के नाना ठाकुर किशन सिंह परमार उत्तरकाशी क्षेत्र से विधायक रहे हैं। सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की प्रारंभिक शिक्षा दून स्थित कैंब्रियन हॉल स्कूल से हुई। उनके पिता ले. जनरल लक्ष्मण सिंह रावत (अप्र) भी सेना में थे। सत्तर के दशक में पिता के देहरादून में पोस्टेड रहने के दौरान जनरल बिपिन रावत ने छठीं से 9वीं तक की पढ़ाई कैंब्रियन हॉल से की। इसके बाद पिता का तबादला शिमला हो गया। नौंवी से आगे की पढ़ाई उन्होंने शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल से की।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र रहे जनरल बिपिन रावत दिसंबर 1978 में दून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पास आउट हुए। उन्हें 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था। अकादमी में उन्हें श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ प्रदान किया गया था। उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था। सीडीएस बनाए जाने से पहले बिपिन रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष थे। आर्मी चीफ बनाए जाने से पहले उन्हें 1 सितंबर 2016 को भारतीय सेना का उप सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था।
विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित
जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव रहा। उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री बटालियन की कमान भी संभाली। एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाली है। रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम के एक पूर्व छात्र, जनरल बिपिन रावत, ने सेना में 38 से अधिक वर्षों तक देश की सेवा की है। इस दौरान उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवाओं के लिए यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम के साथ सम्मानित किया जा चुका है।
उन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘लीडरशिप’ पर कई लेख लिखे हैं, जो विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की है। उन्होंने मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा हासिल किया है। जनरल बिपिन रावत ने सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध पूरा किया है और 2011 में चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) से उन्हें सम्मानित किया गया।