कोविड काल में ब्याज दरों पर चली “कैंची “| HOME LOAN धारकों की “बल्ले-बल्ले”| नेहा सक्सैना की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-नेहा सक्सैना
बात साधारण सी है लेकिन है बड़े काम की। यदि आप से पूछा जाये कि कोविड-19 के प्रभाव के आर्थिक पहलू का एक लाभ बताइये तो शायद है कि जवाब देने में आपको खासी मच्ची करनी पड़ेगी और फिर भी जवाब होगा सवाल गलत है। लेकिन यकीन मानिये यह सवाल बिल्कुल सही है और जवाब हम आपको बता देते हैं कि होम लोन की EMI की रकम कम देने पड़ रही है।
चलिये छोड़िये अब सीधे मुद्दे पर आते हैं। दरअसल, कोविड-19 के चलते अधिकांश बैंकों और लोन देने वाले गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों ने ब्याज में कटौती कर दी है। यही से लाभ का पहलू शुरू होता है। वित्तीय प्रबंधन और होम लोन की अपनी भाषा में इसे बैलेंस ट्रांसफर कहा जाता है।
क्या है बैलेंस ट्रांसफर और कैसे मिलता है लाभ
HOME LOAN AFFAIRS EXPERT हर्षित सिंघल बताते हैं कि होम लोन लेने के 6 माह बाद बैलेंस ट्रांसफर करने का प्रावधान है। सरल व साधारण शब्दों में बताते हैं। मसलन, आपने किसी बैंक से होम लोन लिया है और 6 माह बाद आप इसी होम लोन की प्रक्रिया को किसी और बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से जारी रखना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। अब जरा ध्यान दीजियेगा कि जब आप किसी दूसरे बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान से पहले की होम लोन प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं तो जाहिर सी बात है कि वहां ब्याज दर कम होगी तभी आप ऐसा करेंगे। दरअसल, कोविड के चलते अधिकांश बैंकांे ने ब्याज दर में कमी कर दी है तो इसका लाभ लेने के लिये होम लोन धारकों ने बैंलेंस ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है।
कैसे होता है बैलेंस ट्रांसफर
होम लोन संबंधी मामलों के जानकार हर्षित सिंघल ने बताया कि जब आप बैलेंस ट्रांसफर करते हैं तो कागजी सारी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती हैै। ऐसा करने के बाद संबंधित बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान उस संस्थान को बची हुयी सारी रकम अदा कर देता है जहां से आपने होम लोन लिया है। साधारण शब्दों में इसे ही बैलेंस ट्रांसफर कहा जाता है। इसके बाद आपको ईएमआई की किस्ते तय शर्तों के अनुसार नये होम लोन प्रदाता बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान को देनी होती है।