क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में 45000 जड़ी-बूटी ऐसी हैं | जानिये कैसी |जयमल चंद्रा की रिपोर्ट

Share this news

सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल


शायद है कि आपको भी मेरी तरह पता नहीं होगा क िअपने उत्तराखंड में लगभग 45000 ऐसी जड़ी बूटियां है, जिनका विवरण किसी भी आयुर्वेदिक पुस्तक में मिलना लगभग ना के बराबर ही है। परंतु परंपरागत वैद्य विद्या द्वारा इनका प्राचीन काल में संरक्षण रहा है वर्तमान आधुनिक काल में इनकी पहचान लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसे समय में सुनील दत्त को इनको प्रकाशित कर संरक्षण जागरूकता का कार्य करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।


उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लाक के चैलूसैंण निवासी सुनील दत्त कोठारी विलुप्त होती जड़ी-बूटियों के संरक्षण व प्रचार-प्रसार के लिये सराहनीय कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2016 से लगातार स्थानीय पाई जाने वाली जड़ी बूटियों को उजागर करने के कार्य को बल देने के लिए संरक्षण, प्रचार प्रसार एवं स्थानीय ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों को लेकर आजीविका मिशन पर कार्य कर रहे हैं। आपकी संस्था कोठारी पर्वतीय विकास समिति पौड़ी के फाउंडर एवं सचिव सुनील दत्त कोठारी का प्रयास एवं अनुसंधान का कार्य अनूठा है। जहां एक और उत्तराखंड शहर की ओर पलायन जैसी समस्या से ग्रस्त है, वहीं कई प्रकार के पलायन एवं रोजगार के लिए सरकारी नीति निर्धारण एवं संस्था एक होकर कार्य कर रही हैं।


कोठारी बताते हैं कि उत्तराखंड में लगभग 45000 ऐसी जड़ी बूटियां है, जिनका विवरण किसी भी आयुर्वेदिक पुस्तक में मिलना लगभग ना के बराबर ही है। परंतु परंपरागत वैद्य विद्या द्वारा इनका प्राचीन काल में संरक्षण रहा है वर्तमान आधुनिक काल में इनकी पहचान लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसे समय में सुनील दत्त को इनको प्रकाशित कर संरक्षण जागरूकता का कार्य करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
वर्ष 2016 से स्थानीय जड़ी बूटियों को प्रशिक्षण के रूप में हिमालयन हर्बल टी उत्पादन एवं प्रशिक्षण केंद्र के प्रशिक्षण रूप में लगभग अभी तक 22000 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया। रोजगार की नई संभावनाओं की तलाश की जा रही है, कोठारी जी का प्रयास हर्बल चाय के उत्पादन एवं औषधीय गुणों को केंद्र में रखकर प्रचार प्रसार एवं जागरूकता मुख्य है। हिमालयन बिच्छू बूटी(नेटल) को नई पहचान के रूप के रूप में उभरा जो कि विश्व स्तर पर प्रशंसनीय कार्य रहा। एवं देश प्रदेश स्तर में उच्च मंच पर वनस्पतियों को पहचान दिलाने में जुटे रहना आपकी प्रवृत्ति है।

ad12

सुनील कोठारी का कहना है कि वस्तु प्रचार-प्रसार की बजाय उत्तराखंड की विविधताओं को प्रकाशित करके उत्तराखंड की संस्कृति को पहचान दिलाने का कार्य करें।संस्था कोठारी पर्वतीय विकास समिति किसी भी सरकारी अनुदान प्राप्त अभी तक नहीं है। इस मुहिम को बल देने के लिए मुंबई की दो संस्थाएं नी कोठारी को सहयोग लगातार प्रदान कर रही है। चाहे वह गुणवत्ता में सिद्धांत हो या फिर स्थानीय वस्तुओं को बाजारीकरण की मुहिम हो। होटल परचेजर्स मैनेजर फोरम एवं टी कॉफी एसोसिएशन जोकि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को समझते हुए उत्तराखंड पलायन मुक्त रोजगार युक्त की मुहिम में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। कोठारी कई मंचों पर वक्ता एवं शोध कार्य के द्वारा समय≤ पर सम्मानित होते रहते हैं। इससे उनके कार्य को बल मिलता है, पत्रकार बंधुओं ने आप की मुहिम को काफी परोक्ष रूप से बल दिया है। आज आवश्यकता आन पड़ी है कि कोठारी के कार्य को सफल बना कर राष्ट्रीय स्तर की मुहिम के द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश दिया जाए। कोठारी बताते हैं कि हम सक्षम तभी होंगे जब हमारे कार्यों को आधार दिया जाएगा तथा एक सुनहरे रूप में उत्तराखंड उभर कर आएगा स्थानीय ग्रामीण लोगों की आजीविका में वृद्धि होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *