बिना बेहोश किये छाती के ट्यूमर का सफल आपरेशन | ऋषिकेष से सतयेंद्र चैाहान की रिपोर्ट
CITY LIVE TODAY. STENDRA CHAUHAN
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने छाती में ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे एक मरीज को बिना बेहोश किए उसकी सफल अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी करने में विशेष सफलता प्राप्त की है। चिकित्सा क्षेत्र में उत्तर भारत का यह पहला मामला है, जिसमें मरीज को बिना बेहोश किए यह बेहद जटिल सर्जरी की गई। इस मरीज का उपचार आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। इलाज के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद स्थित चिन्यालीसौड़ निवासी 30 एक वर्षीय व्यक्ति पिछले लंबे अरसे से छाती में भारीपन और असहनीय दर्द की समस्या से जूझ रहा था। लगभग 3 महीने पहले परीक्षण कराने पर पता चला कि उसकी छाती में हृदय के ऊपर एक ट्यूमर बन चुका है। इलाज के लिए वह पहले राज्य के विभिन्न अस्पतालों में गया, लेकिन मामला जटिल होने के कारण अधिकांश अस्पतालों ने उसका इलाज करने में असमर्थता जाहिर कर दी। इसके बाद अपने उपचार के लिए मरीज एम्स ऋषिकेश पहुंचा। यहां विभिन्न जांचों के बाद एम्स के कार्डियो थोरेसिक व वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के वरिष्ठ सर्जन डा. अंशुमन दरबारी जी ने पाया कि मरीज की छाती के भीतर व हार्ट के ऊपर थाइमिक ग्रंथी में संभवत: एक थायमोमा में एक ट्यूमर बन चुका है और उसका आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
इस बाबत सीटीवीएस विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ सर्जन डा. अंशुमन दरबारी ने बताया कि यदि मरीज का समय रहते इलाज नहीं किया जाता तो हार्ट के ऊपर बना ट्यूमर बाद में कैंसर का गंभीररूप ले सकता था। उन्होंने बताया कि आसपास के महत्वपूर्ण अंगों के कारण छाती के भीतर ट्यूमर में सामान्यत: बायोप्सी करना संभव नहीं होता है इसलिए मरीज की बीमारी के निराकरण के लिए रोगी की सहमति के बाद उसकी ’अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी’ करने का निर्णय लिया गया। अत्याधुनिक तकनीक की बेहद जोखिम वाली इस सर्जरी में मरीज की छाती की हड्डी को काटकर मरीज को बिना बेहोश किए उसके हार्ट के ऊपर बना 10 × 7 सेंटीमीटर आकार का ट्यूमर पूर्णरूप से निकाल दिया गया। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में लगभग 2 घंटे का समय लगा और 4 दिन तक मरीज को अस्पताल में रखने के बाद अब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सर्जरी करने वाली विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम में डॉ. अंशुमन दरबारी जी के अलावा सीटीवीएस विभाग के डॉ. राहुल शर्मा जी और एनेस्थेसिया विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजय कुमार जी शामिल थे।
एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले चिकित्सकों के कार्य की सराहना की है। उन्होंने बताया कि मरीजों के बेहतर उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम 24 घंटे तत्परता से कार्य कर रही है।
क्या है ’अवेक कार्डियो सर्जरी’
सीटीवीएस विभाग के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. दरबारी ने बताया कि अवेक कार्डियो थोरेसिक सर्जरी की शुरुआत वर्ष- 2010 में अमेरिका में हुई थी। भारत में यह सुविधा अभी केवल चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही उपलब्ध है। इस तकनीक द्वारा मरीज की रीढ़ की हड्डी में विशेष तकनीक से इंजेक्शन लगाया जाता है। इससे उसकी गर्दन और छाती का भाग सुन्न हो जाता है। पूरी तरह से दर्द रहित होने के बाद छाती की सर्जरी की जाती है। खासबात यह है कि सर्जरी की संपूर्ण प्रक्रिया तक मरीज पूरी तरह होश में रहता है। यहां तक कि सर्जरी के दौरान मरीज से बातचीत भी की जा सकती है। सामान्यतौर पर सर्जरी प्रक्रिया के दौरान मरीज को बेहोशी दवाओं का दुष्प्रभाव हो सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह बेहोशी दवाओं के दुष्प्रभाव से भी बच जाता है। इस तकनीक से मरीज को वेन्टिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता भी नहीं होती है। साथ ही तकनीक में मरीज की रिकवरी बहुत ही सहज और तेज हो जाती है।