सूर्यदेव ने बदला स्थान | बना बर्षा योग | होगा ठंडा-ठंडा- कूल-कूल | चातुर्मास शुरू |भोलेनाथ संभालने वाले हैं सत्ता | पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, डा विपुल देव, ज्योतिषाचार्य9897105622 & 8279719053


सृष्टि को ओज व तेज प्रदान करने वाले धरती के प्रत्यक्ष भगवान सूर्यदेव स्थान बदल चुके हैं। सूर्यदेव का राशि परिवर्तन कई मायनांेे में बेहद खास है। राशि परिवर्तन के साथ ही वर्षा योग बन रहा है जिससे पर्याप्त बारिश का योग बन रहा है। यानि की ठंडा-ठंडा व कूल-कूल। सूर्य नारायण के स्थान बदलते ही चातुर्मास भी शुरू हो गये हैं।
ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव गोल्ड मेडलिस्ट बताते हैं कि 16 जुलाई-2021 को सूर्य नारायण मिथुन राशि से कर्क राशि मंे प्रवेश कर चुके हैं। डा विपुल देव बताते हैं कि कर्क जलीय राशि है और सूर्यदेव के कर्क राशि में प्रवेश करते ही जलीय योग बन रहा है। इससे पर्याप्त बारिश होगी। उन्होंने बताया कि सूर्य नारायण कर्क राशि में एक माह तक रहेंगे।

सूर्यदेव दक्षिणायन


ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव बताते हैं कि कर्क राशि में आते ही सूर्य नारायण दक्षिणायन हो गये हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिणायन काल को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। बताया कि दक्षिणायन काल सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश होते ही प्रारंभ होगा। इसके बाद सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति से सूर्य नारायण उत्तरायण हो जायेंगे। सूर्यदेव साल में 6 माह उत्तरायण और 6 माह दक्षिणायन रहते हैं। डा विपुल देव के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी तक सभी शुभ कार्य व संस्कार निषिध माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि देवताओं की रात्रि में तमो गुण सक्रिय हो जाते हैं। कहते हैं कि दक्षिणायन काल में देव निद्रा में रहते हैं।

ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव

भोेेलेनाथ संभालने वाले हैं सत्ता की कमान
ज्योतिषाचार्य डा विपुल देव बताते हैं कि सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही चातुर्मास भी शुरू हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब बीस जुलाई यानि देवशयनी एकादशी से सत्ता की कमान भोलेनाथ के हाथों में आ जायेेगी। बीस जुलाई से श्रीहरि विष्णु भगवान पाताल लोक में शयन करेंगे। खास बात यह है कि चातुर्मास के चार महीनों में से एक माह यानि सावन में भोलेनाथ हरिद्वार के कनखल से ही सृष्टि का संचालन करेंगे। कनखल भोलेनाथ की ससुराल है। चातुर्मास में दिन छोटे और रात्रि लंबी होती हैं।

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16 जुलाई-2021 दिन शुक्रवार को कर्क संक्रांति का पुण्यकाल-प्रातः 10 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगा।
इस दिन सूर्य उपासना करें। आदित्य हृदय का पाठ करें।
सूर्यदेव को अघ्र्य चढ़ायें। अन्न, फल, वस्त्र और तेल का दान करें। ब्राह्मणों को दक्षिणा दें, स्नान-ध्यान करें।
सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है और विष्णु पूजन से इस दिन मनवांछित पफलों की प्राप्ति होती है।

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