Psychology @ एक Click में जानिये ” The Inkblot test ” स्याही धब्बा परीक्षण की संपूर्ण जानकारी
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-उत्तराखंड
Psychology मनोविज्ञान में व्यक्तित्व के आंकलन के लिये कई प्रकार के परीक्षण किये जाते हैं जिनके अलग-अलग नाम और महत्व है। इन्हीं में एक शामिल है स्याही धब्बा परीक्षण। सिटी लाइव टुडे मीडिया हाउस की इस खास खबर में स्याही धब्बा परीक्षण का ही जिक्र करते हैं। मनोविज्ञान के छात्र हैं या फिर मनोविज्ञान में रूचि रखते हैं तो यह खबर आपके लिये बेहद खास होने वाली है तो पूरी खबर पढ़िये और इसे शेयर भी कीजिये ताकि यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचायी जा सके। Psychology
गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के छात्र योगेश रावत बताते हैं कि
The inkblot test, also known as the Rorschach test, is a psychological assessment that involves interpreting inkblots. The test was developed in 1921 by Swiss psychiatrist Hermann Rorschach.

How it works Psychology
- The test involves showing a series of inkblots to a subject.
- The subject is asked to say what they see in the inkblots.
- The subject’s responses are analyzed to gain insights into their personality traits, styles, and potential mental health conditions.
Why it’s used Psychology
- The test is based on the idea that people interpret external stimuli based on their own perceptual sets, which include their needs, base motives, and conflicts.
- The test is considered a projective tool, which means that the subject supplies meaning to the images, not the test itself.
Psychology
आइये, आपको विस्तार से बताते हैं कि क्या और कैसे होता है स्याही धब्बा परीक्षण। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि स्याही धब्बा परीक्षण, मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए किया जाने वाला एक परीक्षण है. इस परीक्षण में, व्यक्ति को स्याही के धब्बों का एक सेट दिखाया जाता है और उससे पूछा जाता है कि वह क्या देखता है. इस परीक्षण को रोर्शाक इंकब्लॉट टेस्ट भी कहा जाता है
एक नजर में स्याही धब्बा परीक्षण की खास बातें
इस परीक्षण में 10 सममित इंकब्लॉट होते हैं.
इनमें से कुछ रंगीन, काले और लाल या सिर्फ काले होते हैं.
कोई सही या गलत उत्तर नहीं होता.
व्यक्ति को अपना समय लेने की अनुमति होती है.
व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कोई भी प्रतिक्रिया देने की अनुमति होती है.
इस परीक्षण का इस्तेमालरू
किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व लक्षणों का आकलन करने के लिए किया जाता है.
मानसिक विकारों का पता लगाने के लिए किया जाता है.
व्यवहार पूर्वानुमान के लिए किया जाता है.
इस परीक्षण का नाम इसके सर्जक, स्विस मनोवैज्ञानिक हरमन रॉर्शोक के नाम पर रखा गया है.