Garhwal News…”आखर ” महेशानन्द गौड़ चन्द्रा को मिला “डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान-वर्ष 2023 ” | Click कर पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-गढ़वाल
आखर ट्रस्ट द्वारा सौरभ होटल श्रीकोट (श्रीनगर गढ़वाल )में डॉ. गोविन्द चातक जयन्ती के उपलक्ष्य में ‘ डॉ. गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान’ एवं ‘डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ समारोह का भव्य आयोजन किया गया। गढ़वाली गीत साहित्य में अपने चर्चित एवं सुन्दर गीतों के माध्यम से अमूल्य योगदान देने हेतु वर्ष -2023 का ‘डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ वरिष्ठ गढ़वाली गीतकार एवं कवि कोटद्वार निवासी श्री महेशानन्द गौड़ ‘चन्द्रा’ को प्रदान किया गया । अधिक वृद्धावस्था एवं अस्वस्थता के कारण यह सम्मान उनकी ओर से उनके परिवारिक सदस्य आशीष ध्यानी जी ने ग्रहण किया। सम्मान स्वरूप उन्हें रुपए ग्यारह हजार (11,000/ ) की धनराशि के साथ अंग वस्त्र , सम्मान पत्र एवं विशेष आखर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। ग्यारह हजार रुपए की सम्मान राशि डॉ.चातक जी के परिवार की ओर से प्रदान की गई। आखर विगत आठ वर्षों से इस आयोजन को कर रहा है।
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ लोक परम्परानुसार अतिथियों द्वारा जौ से भरे हुए ‘पाथे ‘ में दीप प्रज्वलन, डॉ.गोविन्द चातक जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पण से हुई । इस अवसर पर ट्रस्ट की सदस्य अनीता काला द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के संस्थापक एवं अध्यक्ष संदीप रावत द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने गढ़वाल के लोक साहित्य एवं गढ़वाली भाषा में डॉ.गोविन्द चातक जी के अवदान को चिरस्मरणीय एवं अतुलनीय बताया । साथ ही विस्तारपूर्वक उनके जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बात की गई। वक्ताओं ने कहा कि -‘आखर’ द्वारा डॉ. चातक जी जैसी विभूतियों को याद किया जाना और निरंतर प्रति वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित किया जाना प्रशंसनीय है।
मुख्य अतिथि हे.न.ब.ग. केंद्रीय विश्व विद्यालय कला, संचार एवं भाषा की संकायाध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लेखिका प्रो. मंजुला राणा ने कहा कि- ‘डॉ.गोविन्द चातक जी ने गढ़वाल के लोक साहित्य को सहेजने एवं संरक्षण में अपना जो महत्वपूर्ण योगदान दिया वह अतुलनीय है।उनको वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था।’उन्होंने डॉ. गोविन्द चातक जी के साथ के अपने अनुभव भी साझा किए।साथ ही कहा कि – ‘डॉ. चातक जी ने हिन्दी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण कार्य किए। हिन्दी नाट्य समलोचना के क्षेत्र में उन्होंने बहुत बड़ा काम किया है ।’
कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. विष्णुदत्त कुकरेती ने कहा कि -‘डॉ. चातक की जयन्ती के अवसर पर आखर द्वारा हर वर्ष जो कार्यक्रम आयोजित किया जाना सराहनीय है।डॉ. चातक जी का व्यक्तित्व असाधारण एवं विराट था परन्तु वे हमेशा साधारण रहे। आज अधिकतर उन्हीं की चक्की का पिसा हुआ आटा पीस रहे हैं, कुछ नया नहीं आ पा रहा है लोक साहित्य के क्षेत्र में।’
विशिष्ट अतिथि प्रो. सम्पूर्ण सिंह रावत ने कहा कि – ‘डॉ.चातक ने यहाँ के सम्पूर्ण लोक साहित्य काे लिपिबद्ध करने का जो महत्वपूर्ण कार्य किया उसके लिए यहां का समाज उनका हमेशा ऋणी रहेगा। उन्होंने हिन्दी प्रथम डी. लिट. डॉ. पीताम्बर दत्त बड्थवाल जी के निबंधों का संकलन एवं संपादन का महत्वपूर्ण कार्य भी किया।आखर का निरंतर प्रयास सराहनीय है।
कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले महेशानन्द गौड़ ‘चंद्रा’ हल्द्वानी से ऑनलाइन /लाइव जुड़े का प्रयास किया गया, परन्तु टेक्निकल कारणों से नहीं जुड़ पाए इस सम्मान हेतु एक वीडियो के माध्यम से आखर का आभार व्यक्त किया।
अतिथि वक्ता प्रसिद्ध लेखक डॉ. अरुण कुकसाल ने कहा कि – ‘जब भी उत्तराखंड के लोक साहित्य का जिक्र होगा तो डॉ. चातक जी का जिक्र हमेशा अवश्य होगा।’ गढ़वाली लोक साहित्य एवं गढ़वाली भाषा में डॉ.गोविन्द चातक जी द्वारा दिए गए अवदान पर उन्होंने विस्तार से बात की।कहा कि- ‘डॉ.चातक जी ने यहां के लोक साहित्य को संग्रहित कर इसके संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। साथ ही कहा कि – ‘श्रीनगर नगर निगम परिसर में उनके नाम पर पुस्तकालय होना चाहिए। पूर्व में नगर पालिका द्वारा इसकी घोषणा एवं प्रस्ताव भी पारित हुआ था, परन्तु धरातल पर यह कार्य नहीं हो पाया।’
गरुड़, कुमाऊं से आए अतिथि वक्ता, लोक साहित्य विशेषज्ञ एवं गढ़वाली गीतकार डॉ. प्रीतम अपछ्याण ने कहा कि – ‘आखर साहित्य सम्मान से सम्मानित होने वाले श्री महेशानन्द गौड़ जी अपने जमाने के एक उच्च कोटि के गीतकार हुए हैं और आज के प्रपेक्ष्य में ऐसे ही अच्छे गीतों की आवश्यकता है। ‘उन्होंने लोक साहित्य पर भी विस्तार से अपनी बात रखी।
समाज सेवी एवं जन सरोकारों से जुड़े आन्दोलन कारी श्री अनिल स्वामी जी ने कहा कि – ‘समाज की जिम्मेदारी भी बनती है कि इस तरह के आयोजन में उपस्थित होकर अपनी भागीदारी निभाए और जो इस तरह के वैचारिक आयोजन शालीनता से कर रहे हैं, उनका भी साथ दें।उन्होंने डॉ. चातक जी को याद कर कहा कि – ‘उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों के गांव जा- जाकर एवं अथक परिश्रम कर गढ़वाल के लोक साहित्य को संकलित करने का कार्य किया।’
आखर के उपाध्यक्ष डॉ.नागेंद्र रावत ने डॉ.गोविन्द चातक जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सभी के सम्मुख रखते हुए कहा कि -‘डॉ. गोविन्द चातक जी एक विराट एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे गढ़वाली लोक साहित्य के पहले संग्रहकर्ता, अनुवादक, भाषाविद्, नाट्य समलोचक,नाटककार, कथाकार, कवि थे।’
आखर ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत ने सम्मानित होने वाली विभूति श्री महेशानन्द गौड़ ‘चंद्रा ‘ जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सभी के सम्मुख रखते हुए कहा कि – ‘श्री महेशानन्द गौड़ जी ने अपने कालजयी गीतों के माध्यम से गढवाली भाषा को एक नया आयाम दिया और इसे विश्व पटल पर पहचान दिलायी। उनके गीतों में यहां का प्रकृति चित्रण बखूबी हुआ है और उनके कई गीत आज लोकगीत के रूप में गाए जाते हैं। श्री महेशानन्द गौड़ गढ़वाल एवं कुमाऊं की साझा संस्कृति के संवाहक हैं।’संदीप रावत ने सन 1962 में रचित उनका चर्चित गीत ‘चल रूपा बुरांसी का फूल बणी जौंला ‘ भी सुनाया।
श्री महेशानन्द गौड़ जी के सम्मान को ग्रहण करने वाले उनके परिवारिक सदस्य श्री आशीष ध्यानी जी ने आखर ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में आखर के अध्यक्ष संदीप रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित के आखर सभी सदस्यों एवं आखर के सचिव श्री गीतेश नेगी जी का वैचारिक रूप से सहयोग प्रदान करने हेतु विशेष आभार व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम में डॉ.गोविन्द चातक जी के परिवार की ओर से उनके पौत्र श्री सौरभ बिष्ट जी , डॉ. नीलम नेगी,घण्टाकर्ण देवता के रावल दिनेश जोशी,प्रसिद्ध समाज सेवी अनिल स्वामी , रोटेरियन एवं समाज सेवी श्री नरेश नौटियाल जी , शोधार्थी रेशमा पंवार जी , श्रीमती अंजना घिल्डियाल जी , श्री गंभीर सिंह रौतेला जी , श्री जसपाल चौहान जी,श्री महेंद्र बंगवाल जी,कैप्टेन श्री सते सिंह भण्डारी जी,श्री अरुण बिष्ट जी, श्री भूपेन्द्र नेगी जी,श्री राजेंद्र कैंतुरा जी, श्री आशीष कांडपाल जी, श्री आनन्द कप्रवाण जी, श्री तरुण
नौटियाल जी, श्री सौरभ पड़ियार जी, श्री सतीश काला जी, श्री नन्द किशोर नैथानी जी,डॉ.गोविन्द चातक के गांव और लोस्तु क्षेत्र से -‘श्री रघुबीर सिंह कंडारी, श्री भरत सिंह कंडारी जी एवं श्री दर्शन सिंह भंडारी जी’, श्री उम्मेद सिंह मेहरा जी,श्री विभोर बहुगुणा जी,श्री धनेश्वर द्विवेदी जी, श्री संतराम जी, श्री प्रभाकर बाबुलकर जी श्री राकेश चन्द्र बहुगुणा जी,व्यापार संघ अध्यक्ष डांग के श्री सौरभ पाण्डेय जी ,मुख्य ट्रस्टी लक्ष्मी रावत जी ,श्रीमती रेखा चमोली जी ,श्रीमती हेमा खंडूडी जी, श्रीमती प्रभावती नेगी जी, श्रीमती सीमा भारती जी,श्रीमती लक्ष्मी बिष्ट जी, श्रीमती साक्षी रावत जी,शिक्षक -शिक्षिकाओं, शोधार्थी, साहित्यिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ कार्यक्रम में मीडिया जगत, श्रीकोट -श्रीनगर की सम्भ्रांत जनता उपस्थित थी ।