Psychology..” भूत-प्रेत बाधा ” हकीकत या फसाना..रहस्य से पर्दा उठायेगी ये Report| साभार Psychologist Dr नवीन पंत

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-साभार psychologist Dr नवीन पंत


जीवन के सफर कई प्रकार की पहेलियां भी बनती रहती हैं। इनको लेकर जिज्ञासा बनी रहती हैं। भूत-प्रेत बाधा को भी ऐसी ही पहेली मान लेते हैं। आप और हम को लेकर भी जिज्ञासु रहते हैं कि आखिर ये भूत-प्र्रेत बाधा होती है या नहीं। हां और ना दोनों में ही हम कहीं ना कहीं तर्क, तथ्य व प्रमाणों की कसौटी की भी व्याख्या करते हैं। इस खबर में हम मनोवैज्ञानिक तरीके से भूत-प्रेत बाधा को समझते हैं। इस बाबत बेहद उपयोगी जानकारी उपलब्ध करायी है गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के psychologist Dr नवीन पंत ने। आइये जानते हैं कि भूत-प्रेत बाधा कितना हकीकत और कितना फसाना।

गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के psychologist Dr नवीन पंत

मानसिक विकार है या प्रेत-भूतबाधा कैसे पहचानें
(Identifying and Differentiating Mental Disorders from Pretbadha)

भारतीय संस्कृति सहित कई संस्कृतियों में अक्सर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को अलौकिक गतिविधि जैसे प्रेतबाधा या भूतबाधा से समझा या जोड़ा जाता है। चूंकि किसी संस्कृति में उपरोक्त मान्यताओं का महत्व है, इसलिए ऐसी स्थितियों को मौजूदा मानसिक बीमारियों से अलग करना महत्वपूर्ण है जिन्हें उपचार की नैदानिक आवश्यकता द्वारा पहचाना जा सकता है। गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान के psychologist Dr नवीन पंत

मानसिक विकारः पहचानने योग्य पैटर्न
(Mental Disorders: Recognizable Patterns)
चिंता, अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया और विघटनकारी विकार सहित संज्ञानात्मक विकार विशिष्ट मनोवैज्ञानिक विकार हैं जो विशिष्ट व्यवहार और विचार प्रक्रियाओं को प्रस्तुत करते हैं जिन्हें डॉक्टरों द्वारा पहचाना जा सकता है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-
अवसाद (Depression): इनमें शामिल हैं- अवसाद या उन चीजों पर ध्यान दिए बिना अधिकांश समय दुखी रहना जो आप कभी आनंद लेते थे, कमजोरी या थकान, और निराशा की भावना उदाहरण के लिएः सर्वश्रेष्ठ की आशा का खो जाना।
चिंता (Anxiety): चिंता, या भय: उदाहरण के लिए, चिंता, पैनिक विकार या कोई अन्य अतार्किक भय।
सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia): अवधारणात्मक असामान्यताएँ, असामान्य विश्वास, अव्यवस्थित संचार और संज्ञानात्मक/व्यवहार संबंधी विकार।
विघटनकारी विकार (Dissociative Disorders):
तेजी से मनोदशा में बदलाव, भ्रम, या वास्तविकता से हटना।
ये विकार आमतौर पर मानसिक, जैविक या पर्यावरणीय कारकों के कारण होते हैं और इनके इलाज से पहले चिकित्सकीय विचार/ काउंसलिंग प्राप्त करना चाहिए।

प्रेत-भूतबाधा: सांस्कृतिक व्याख्याएँ
(Pretbadha or Bhootbadha: Cultural Interpretations)
प्रेतबाधा या भूतबाधा एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग यह समझाने के लिए किया जाता था कि एक व्यक्ति आत्मिक प्रभाव के कारण अपनी बुद्धि या खुद के नियंत्रण में नहीं है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस तरह के प्रभाव में होते हैं, वे अपने व्यवहार में अचानक परिवर्तन, अपरिचित भाषाओं के उपयोग या असामान्य शारीरिक प्रतिक्रियाओं को प्रस्तुत करते हैं। ऐसी स्थितियों को नियमित रूप से कर्मिक प्रतिशोध, अभिशाप या आत्मिक अधिकार के रूप में माना जाता है।

प्रेत-भूतबाधा का एक उदाहरण: सिज़ोफ्रेनिया का एक मामला
(Pretbadha Misunderstood: A Case of Schizophrenia)
उदाहरण के तौर पर, रवि 25 साल का युवक है, जिसे कुछ समय से आवाजें सुनाई दे रही थीं और वह बिना मतलब की बातें कर रहा था। इसमें अपने परिवार के साथ बातचीत करने से इनकार करने और इसके बजाय खुद से ही बड़बड़ाने जैसे लक्षण शामिल थे। रूढ़िवादी संप्रदाय से संबंधित उनके परिवार ने पहले यह माना कि रवि प्रेतबाधा के अधीन है। वे एक स्थानीय हीलर से परामर्श करने गए और कुछ उपाय करवाए जिससे उसमें मौजूद आत्मा को बाहर निकाला जा सके।
रवि की स्थिति इस स्थानीय इलाज बावजूद बिगड़ सकती थी। उसका एक पारिवारिक मित्र था जिसने रवि को मनोचिकित्सक को दिखाने की सलाह दी और डॉक्टर ने रवि को बताया कि उसे सिज़ोफ्रेनिया है। जब दवा और चिकित्सा दी गई तो रवि के लक्षण कम होने लगे और वह एक बार फिर बेहतर मानसिक स्वास्थ्य में था। उसकी बीमारी को अलौकिक उत्पत्ति माना जाता रहा, जबकि वास्तव में इसका इलाज एक आधुनिक मनोचिकित्सक द्वारा किया जा सकता था।

प्रमुख अंतर (Key Differences)
चिकित्सकीय निदान (Medical Diagnosis): रवि के मामले में भ्रम और मतिभ्रम सिज़ोफ्रेनिया के कुछ संकेत हैं। इस तरह के अनुभवों के लिए भूतबाधा को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन इन्हें वैज्ञानिक रूप से साबित किया जा सकता है। यदि लक्षण बिगड़ने की स्थिति में हैं तो, पहला परामर्श डॉक्टर के पास लेना चाहिए।

अवधि और सुसंगतता (Duration and Consistency): सिज़ोफ्रेनिक बीमारी के लक्षण विभिन्न पीढ़ियों में स्थिर रहते हैं और केवल अनुष्ठानों के साथ सुधार नहीं करते हैं। बाह्य रोगी देखभाल; इसमें डॉक्टर के पास जाना, दवाएं और चिकित्सा एक स्वास्थ्य लाभ प्रक्रिया में प्रक्रियाओं का एक बड़ा हिस्सा है।

सांस्कृतिक संवेदनशीलता (Cultural Sensitivity): भले ही पारंपरिक मान्यताएं महत्वपूर्ण हैं, सर्वोत्तम परिणामों के लिए चिकित्सा प्रथाओं के साथ संस्कृति का भी पालन किया जाना चाहिए। इस मामले में योग्य निर्देशन की मदद से मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों को कवर करना बहुत बेहतर है।

सारांश (Summary): मानसिक विकारों और आध्यात्मिक अंतःक्रिया जैसे कि प्रेतबाधा के बीच का अंतर सही देखभाल का आधार है। रवि के मामले में, सिज़ोफ्रेनिया की उपस्थिति ने इस व्यक्ति के उचित उपचार को सक्षम बनाया। ऐसी परिस्थितियों में, किसी को खुले विचारों वाला होना चाहिए और प्रभावित व्यक्तियों की मदद के लिए विज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक विज्ञान से काम लेना चाहिए।
Finally the Key difference between these two is that, the Mental Disorders can be diagnosed with Psychological Tests while pret-badha is the aspect of Jyotisha Hindu Shastras and Parapsychology….

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For Expert Query Contact-
Dr. N. Pant,
PhD (Psychology)
Independent Researcher, Author & Teacher,
Haridwar, Uttarakhand, India
E-mail: drnaveenpant@gmail.com

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