अपनी चिंताओं को छोड़कर आत्म-निर्भर (शंभु) का चिंतन करना ही आध्यात्म का नाम है|Click कर पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
हरिद्वार/ टोरंटो(कनाडा)।चातुर्मास प्रवास पर कनाडा पहुंचे निरंजनी अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज का कहना है कि आध्यात्म कायरों और निष्क्रिय लोगों का मार्ग नहीं है, बल्कि कायरता और निष्क्रियता को त्यागने वालों का मार्ग है। अधिकांश लोगों की नजर में आध्यात्म का मतलब केवल वह मार्ग है, जिससे कायर लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि आध्यात्म का मतलब छोटी-छोटी जिम्मेदारियों से बचना नहीं है, बल्कि छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को त्यागकर बड़ी जिम्मेदारी उठाने का साहस करना जरूर है। सोचिए! यदि आध्यात्म केवल कमजोर लोगों का मार्ग होता, तो महावीर और बुद्ध जैसे लोग, जो बचपन में ही शेर के दांत गिनने की क्षमता रखते थे, इस मार्ग से नहीं गुजरते। स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि अपनी चिंताओं को छोड़कर आत्म-निर्भर (शंभु) का चिंतन करना ही आध्यात्म का नाम है।
और स्वयं के कष्टों को भूलने और संसार के कष्टों को कम करने की यात्रा ही वास्तविक आध्यात्मिक यात्रा है। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा विदेशों में रहने वाले भारतीयों के मन में अपने देश के प्रति असीम श्रद्धा एवं प्यार है। मातृभूमि से लोगों को गहरा लगाव है। उन्होंने कहा कनाडा में मिले सम्मान को जीवन भर भूल नहीं पायेंगे और मौका मिलने पर दोबारा कनाडा जरूर आयेंगे।