9th August…हस्त नक्षत्र और सिद्ध योग होने से नागपंचमी पर मंत्र एवं यंत्र सिद्धि के लिए विशिष्ट योग। प्रस्तुति- आचार्यश्री ” दैवज्ञ “

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस…देहरादून/ऋषिकेश/ हरिद्वार ।

जन्म कुंडली में कालसर्प योग से पीड़ित एवं विवाह संबंधी बाधाओं को झेल रहे लोगों के लिए वरदान के समान।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त शुक्रवार को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल” दैवज्ञ” बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार इस बार नागपंचमी हस्त नक्षत्र व सिद्ध योग में आ रही है। इसलिए जन्म कुंडली में एक कालसर्प योग से पीड़ित एवं किसी भी प्रकार से विवाह संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे लोगों के लिए मन्त्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित करके यंत्रों को सिद्ध करने के लिए बहुत बड़ा अवसर है, इस दिन मालवा की लोक परंपरा अनुसार घरों की दीवार पर नाग देवता का अंकन कर पूजा अर्चना भी की जाएगी।

कुंडली एवं हस्तरेखा के विशेषज्ञ आचार्य दैवज्ञ बताते हैं कि यह दिन कालसर्प व सर्प श्रापित दोष निवारण पूजन के लिए भी श्रेष्ठ है। क्योंकि नागों का वार भी शुक्रवार ही है, और इस बार नागपंचमी शुक्रवार के दिन हस्त नक्षत्र,सिद्ध योग और कन्या राशि के चंद्रमा में आ रही है, तो जन्म कुंडली के दोषों की वजह से जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है, अथवा विवाह होकर के टूट गया है ,अथवा किसी भी प्रकार से पारिवारिक संबंधों यथा पति- पत्नी पिता- पुत्र के बीच मनमुटाव आदि की परेशानी हो रही है, उनके लिए यह दिन वरदान के समान आ रहा है।

आचार्य दैवज्ञ सूक्ष्म विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि शुक्रवार का दिन, हस्त नक्षत्र के स्वामी सूर्य, सिद्ध योग के स्वामी कार्तिकेय हैं, इस दृष्टि से इस वर्ष नाग पंचमी के त्यौहार पर नाग देवता का विधिवत पूजन करने से परिवार में कुल वृद्धि भी होगी जिन लोगों के परिवार में शत्रु बाधा और नजर कल्पना का दोष चल रहा है उनके लिए भी यंत्रों की सिद्धि होगी वरदान साबित होगी।

उज्जैन में 10 दिशाओं में अलग-अलग नागों की उपस्थिति

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व्यास पीठ पर आसीन होने वाले आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं, कि स्कंद पुराण के अवंति खंड में नागों के तीर्थ की महिमा का उल्लेख किया गया है। भैरव तीर्थ व नाग तीर्थ के नाम से प्रचलित अध्याय में नागों के 10 दिशाओं का उल्लेख पौराणिक मान्यता में दर्शाया गया है, जिसका अलग-अलग प्रकार से 10 नाग देवता प्रतिनिधित्व करते हैं। 10 दिशाओं के 10 दिग्पाल के रूप में भी उनकी उपस्थिति मानी जाती है।

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