Haridwar News..सम्पूर्ण सृष्टि साहित्य पर ही टिकी हुई है| डॉ निरंजन मिश्र |Clickकर पढ़िये पूरी खबर

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-हरिद्वार

हरिद्वार । डाॅ.निरञ्जन मिश्र ने छात्रों को अपना विशिष्ट व्याख्यान प्रदान करते हुए कहा कि यह सम्पूर्ण सृष्टि साहित्य पर ही टिकी हुई है।यदि इस सृष्टि से साहित्य को अलग कर दिया जाये तो, यह सम्पूर्ण सृष्टि ही रसविहीन हो जाएगी। अतः जिस प्रकार शरीर का आधार आत्मा है, उसी प्रकार इस सम्पूर्ण सृष्टि का आधार साहित्य ही है। क्लिक कर पढ़िये पूरी खबर

इसी बात को वेदों में भी कहा गया-रसो वै सः। अर्थात्- वह परमात्मा रसस्वरूप ही है। उन्होंने यह भी कहा कि आप सभी को न केवल ज्ञान ही प्राप्त करना चाहिए अपितु आपका वह ज्ञान समाज हेतु कैसे उपयोगी हो सकता है, इस विषय पर भी चिन्तन करना चाहिए।अन्यथा वह प्राप्त किया हुआ ज्ञान, आपके लिये भार के समान ही हो जायेगा। इसीलिए संस्कृत साहित्य में कहा भी गया है-ज्ञानं भारः क्रियां विना। इसी प्रकार विविध प्रकार के दृष्टान्त प्रदान कर डाॅ.मिश्र के द्वारा नवागत छात्रों का मार्गदर्शन किया गया।


गौरतलब है कि श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में; दीक्षारम्भ- कार्यक्रम के अन्तर्गत, साहित्य शास्त्र का विशिष्ट परिचय विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ.दीपक कुमार कोठारी ने बताया कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के निर्देशानुसार; श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत

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महाविद्यालय हरिद्वार में दीक्षारम्भ कार्यक्रम चल रहा है। कार्यक्रम के नवम दिवस पर मंगलवार को व्याकरण विभागाध्यक्ष डाॅ.रवीन्द्र कुमार आर्य,आधुनिक विषय विभाग की सहायकाचार्य डाॅ.मञ्जू पटेल,अंग्रेजी विषय की सहायकाचार्य डाॅ.आशिमा श्रवण,वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डाॅ.आलोक सेमवाल व श्री आदित्य सुतारा,योग विषय के प्राध्यापक श्री मनोज गिरि एवं श्री अतुल मैखुरी,संस्कृत शिक्षक डाॅ.प्रमेश बिजल्वाण,साहित्य विभाग के प्राध्यापक डाॅ.अंकुर आर्य ,व्याकरण विभाग के प्राध्यापक श्री शिवदेव आर्य,साहित्य विभाग के प्राध्यापक श्री ज्ञानसिन्धु आदि सहित नव प्रविष्ट छात्र समुपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ.व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव के द्वारा भी छात्रों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया गया।
इस पञ्चदश दिवसीय दीक्षारम्भ- कार्यक्रम का संयोजन, व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ.दीपक कुमार कोठारी द्वारा किया जा रहा है।

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