दुखद| चला गया मां सरस्वती का पुजारी| रूला गया समाज का रखवाला| जगमोहन डांगी की Report

Share this news

सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी गढ़वाल


मां सरस्वती का पुजारी व समाज का रखवाला चंद्रपाल सिंह रावत रूलाकर चले गये। उत्तराखंड के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और लेखक चंद्रपाल सिंह रावत ने 15 दिसंबर को कोटद्वार में अंतिम सांस ली, जिससे गढ़वाल और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के सामाजिक-राजनीतिक हलकों, विशेष रूप से उत्तराखंड हलकों में सदमे की लहर दौड़ गई।

गढ़वाल, उत्तराखंड की परंपरा, संस्कृति, इतिहास आदि पर प्रतिष्ठित लेखकों द्वारा लिखे गए विभिन्न ऐतिहासिक लेखों के संकलन की पुस्तक गढ़वाल और गढ़वाल सहित कई अन्य पुस्तकों और सैकड़ों लेखों, कहानियों और कविताओं के लेखक चंद्रपाल सिंह रावत प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। गवर्नमेंट बॉयज़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सेवानिवृत प्रिंसिपल जिन्होंने अपना शेष जीवन समाज सेवा, परोपकार, लेख लिखने और उत्तराखंड के सबसे बड़े प्रतिनिधि सामाजिक संगठन गढ़वाल हितैषिनी सभा की गतिविधियों में समर्पित कर दिया, इसके पदाधिकारी के रूप में कई वर्षों तक भवन के आधुनिकीकरण में योगदान दिया और अपने सर्वाेत्तम प्रयासों और पहल से संगठन को मजबूत किया।

जब चंद्रपाल सिंह रावत ने अंतिम सांस ली तब वह 94 वर्ष के थे। उनके पिता जोध सिंह रावत, जो एक शिक्षाविद भी थे, ने पचास, साठ और सत्तर के दशक के दौरान मंदिर मार्ग/कनॉट प्लेस में उत्तराखंड के लोगों और अन्य लोगों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो छोटी नौकरियों के लिए दिल्ली आते थे। उन्होंने पहाड़ों से आने वाले प्रवासियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए एक अंशकालिक स्कूल खोला था, जो बाद में आत्मनिर्भर बनकर विभिन्न सरकारी नौकरियों में अधिकारी बन गए और गढ़वाल के गांवों में रहने वाले अपने परिवारों के लिए भरण-पोषण की व्यवस्था की। उनका योगदान अतुलनीय था. विशेष रूप से दिल्ली में संपूर्ण उत्तराखंड समुदाय इस प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् को उत्तराखंड समुदाय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और योगदान के लिए अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

ad12

वह मूल रूप से द्वारीखाल विकास खंड के ढांगू पट्टी के ग्वील गांव के थे हाल में हमारे संवाददाता ने उसने उनके स्थाई निवास कोटद्वार जाकर मुलाकात की थी ज्ञात हो की दिल्ली में गढ़वाल हितैषिनी सभा के 100 पूर्ण होने पर आयोजित शताब्दी समारोह 29 अक्तूबर को उनको दिल्ली गढ़वाल भवन में सम्मानित किया था उन्होंने अपना फोन नम्बर आदि बंद कर दिया था वह अंतिम समय आराम करना चाहते थे। इस लिए दिल्ली मकान बेचकर बेटी के साथ किराया पर रहते थे। उनके पुत्र विदेश में रहते है। दिल्ली का उत्तराखंड समाज चंद्रपाल सिंह रावत के समाज और बौद्धिक समुदाय तथा छात्रों, युवाओं के प्रति दिए गए अतुलनीय योगदान का ऋणी है और उनकी पवित्र आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *