Gazal….गज़ल गायी. उसको सुनायी. वो फिर भी नहीं आयी|” तेरा जांण से पैलि| कहीं रूला न दे ये गज़ल| जरा संभल कर| Click कर पढ़िये पूरी खबर

Share this news

सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस

दिल का दर्द किसी ना किसी रूप में छलक ही जाता है। ये दिल का मामला जो है। दिल के दर्द को गजल के रूप में गाढ़ा है श्रेष्ठ गज़लकार.. मधुसूदन थपलियाल ने। इससे पहले भी इसी तरह के गज़लों को लिखने वाले मधुसूदन की यह गज़ल जरा हटकर है। इसम दर्द के साथ शब्दों का जो चयन किया गया है वह इस दर्द को तो बढ़ा देती है और गज़ल का वजन भी बढ़ा देती है।


गज़लकार. मधुसूदन की यह गजल है तेरा जांण से पैलि। इसे स्वर दिया है गायक सौरभ मैठाणी ने। गजल कुछ इस तरह से है,,,,मेरी जिंदगी बटि तेरा जांण से पैलि, आंखि बणीं गेनि ढुग्गी आंसू आंण से पैलि।

,मेरी जिंदगी बटि तेरा जांण से पैलि, आंखि बणीं गेनि ढुग्गी आंसू आंण से पैलि


यह गज़ल सचमुच रूला देने वाली है। खासतौर माया के सौदेगेरों के दिलों में तो यह गजल अमिट छाप छोड़ रही है। गायक सौरभ मैठाणी की आवाज में भी वही दर्द सुनायी दे रहा है जो गजल के भावों व शब्दों में है।

ad12


गज़लकार. मधुसुूदन थपलियाल की एक गज़लकार. धागू ह्वैगे जिंदगी को भी सौरभ मैठाणी आवाज दे चुके हैं। बहरहाल, आप भी सुनिये ये गजल। लेकिन जरा दिल थामके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *