Panchkarma @ बड़े ही काम का है Virechana और लाभ इतने कि….|साभार-रजनी चौहान
सिटी लाइव टुडे, देहरादून-साभार रजनी चौहान
Virechana Panchkarma in Hindi दक्षिण भारत में ज्यादा प्रचलित पंचकर्मा चिकित्सा पद्धति आज सात समंदर पार भी पहुंच चुकी है। सिटी लाइव टुडे मीडिया हाउस में हमारी कोशिश है कि पंचकर्मा का संपूर्ण ज्ञान आप तक पहुंचाया जाये। इस क्रम में हम पहले पंचकर्मा और इसके बाद पंचकर्मा का पहला कर्म वमन के बारे में जानकारी दे चुके हैं। पंचकर्मा की जानकार रजनी चौहान लगातार उपयोगी जानकारी साझा कर रही है इसके लिये धन्यवाद। इस खबर में पंचकर्मा के विरेचन कर्म की जानकारी साझा करने की कोशिश की जा रही है तो लीजिये पेश है यह खास रिपोर्ट। citylivetoday.com
Virechana Panchkarma in Hindi पंचकर्मा की जानकार रजनी चौहान बताती हैं कि सीधे शब्दों में कहें तो आयुर्वेदिक औषधि देकर शरीर के बढ़े हुए पित्त दोषों को दस्त (Stool) द्वारा शरीर के अधोमार्ग से बाहर निकालने के विधि को विरेचन कहते हैं। अगर हम आधुनिक भाषा में कहें तो विरेचन को शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर फ्लश करने की पद्धति कहा जा सकता है। आधुनिक भाषा में इसे Purgation भी कहते हैं।
रजनी चौहान बताती हैं कि विरेचन यह बच्चों से लेकर बूढ़ों तक ऋतु, शरीरबल, अवस्था के अनुसार प्रशिक्षित वैद्य अर्थात आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशन में किया जाता है। Virechana Panchkarma in Hindi
ऐसे होता है विरेचन
विरेचन से पहले
पंचकर्मा की जानकार डा रजनी चौहान बताती हैं कि विरेचन करने से पहले यह जरूरी होता है कि रोगी को इसके लिये तैयार किया जाये। उन्होंने बताया कि विरेचन पंचकर्म में रोगी को विरेचन के योग्य बनाने के लिए और दूषित दोष को एक स्थान में लाने के लिए पहले पूर्व कर्म किया जाता हैं। विरेचन के पूर्व कर्म में 3, 5, या 7 दिन आयुर्वेदिक घी को मात्रा बढाते पिलाया जाता है, इसे आभ्यंतर स्नेहपान कहा जाता है। इस क्रिया से जठर, आतडों का स्नेहन होकर विरेचन द्वारा दोष आसानी से शरीर के बाहर निकलने में सहायता होती है। घृत का पाचन होने पर लघु आहार दिया जाता है।
प्रधान कर्म
पंचकर्मा की जानकार रजनी चौहान बताती हैं कि चिकित्सक के सलाह पर रोगी को विरेचन के लिए दवाई दी जाती है। उसके कुछ देर पश्चात विरेचन के वेग अर्थात दस्त चालू होते है। शरीर प्रकृति अनुसार , दोष बाहर निकलने के पश्चात दस्त बंद हो जाते है।
ये है विरेचन के लाभ banifit of virechan
विरेचन का प्रयोग खासकर इन व्याधियों में उपयुक्त होता है। कामला ( jaundice ), अम्लपित्त( acidity ), ज्वर ( fever ), सिरदर्द ( headache ), त्वचविकार ( skin diseases ), उच्च रक्तदाब ( high BP ), उर्ध्वग रक्तपित्त ( blood vomiting ), high cholesterol, बाल सफेद होना, हॄदरोग ( heart disease ), मोटापा आदि बीमारियों में विरेचन से आश्चर्यकारक फायदा होते देखा गया हैं।
- कई बार लंबी बीमारी जैसे टायफाइड, मलेरिया, डेंगू, जॉन्डिस, आदि के तहत अस्पताल में admit हुए व्यक्तियों में ठीक होने के पश्चात भी भूक न लगना, खाने का पाचन सही नही होना ऐसी कुछ तकलीफें रहती है। विरेचन से इन तकलीफों से राहत मिलती है।
- इसके अलावा कई ऐसी बीमारी है जिसमें विरेचन से फायदा विरेचन से फायदा हो सकता है जैसे बवासीर, अनीमिया, अल्सर, फोड़ा, छाले, मधुमेह के रोगी में उतपन्न घाव, पीलिया, यकृत रोग, chronic fever, उल्टी, जीर्ण विषाक्तता, मोतियाबिंद, अंधापन, Gout, दमा, अपचन, आलस, थकान, कमजोरी, अनिद्रा, अतिनिद्रा, नपुंसकता आदि।