Poetry..तन व मन को बारिश से भिगौती ” सुमन डोभाल काला” की कविता “गरज गरज मेघा आये रहे “| Click कर पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
बरसात यानि बारिश और पानी। बेशक, इन दिनों बारिश ने मुसीबतें खड़ी कर दी है। लेकिन यह भी सही है कि बारिश या बरसात पर साहित्य सृजन का अंदाज ही निराला है। तमाम साहित्यकारों ने बरसात में शानदार व जानदार साहित्य सृजन किया है। साहित्यकार सुमन डोभाल काला ने भी बरसात में सुंदर साहित्य सृजन किया है। सिटी लाइव टुडे के इस अंक में सुमन डोभाल काला की यह कविता प्रस्तुत कर रहे हैं जो कि बारिश पर आधारित है। लीजिये पेश है सुमन डोभाल काला की यह कविता।
गरज गरज के मेघा आए ,
उमड़ घुमड़ के दौड़े दौड़े ,,
जमकर बरसे रोज़ रोज़ ये ,
बिजली कौंधी गरज गरज कर ,,
मेघा बरसे दिन रात जमके ,
पर्वत नदियां गांव शहर अब ,,
पानी से डूबे घर बाग बगीचे,
चिड़िया रोई ज़ार ज़ार खूब ,,
पशुओं को रास न आई ,
बरखा रानी जमकर आई ,,
बहा ले गई गांव मोहल्ले ,
खेत खलियान गौशाले डूबे ,,
भयभीत पड़े है गांव गली अब ,
हाथ उठाके जन जन अब ,,
प्रभु बंद करो अब ये सब ,
प्रभु हंसे पर लोग न समझे ,,
विकास हुआ तो विनाश भी होगा ,
करनी किसकी भरनी किसकी ,,
स्वरचित कविता ....
साभार ....
सुमन डोभाल काला ….
देहरादून उत्तराखंड ….
पिन … २४९००१
शोशल एक्टिविस्ट फ्रीलांसर एक्टर लेखिका सिंगर आदि ….
दिनांक … १३/७/२०२३