Pauri…. खुले ताले, हटे जाले…गांव की माटी खींच ले आयी ” गौं-गुठ्यार “| कहानी चौंडली गांव की| जगमोहन डांगी की Report

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस,,,,, जगमोहन डांगी पौड़ी


नींद अभी खुली नहीं थी कि मेरे सपने गये कहां, बूढ़ा पर्वत रोता है मेरे अपने गये कहां।


आखिरकार सन्नाटा टूट ही गया है। सन्नाटे को चीरते हुये गांव में आवाज आयी है कि मेरा गांव कितना सुंदर है। यहां की माटी में प्रेमी की खेती उगायेंगे। सालों में बेजार पड़ा यह गांव गुलजार हो गया है। इस गांव को घोस्ट गांव घोषित भी किया जा चुका है लेकिन लंबे समय के इंतजार के बाद प्रवासी लौट आये हैं अपने गांव और हो गयी है जय-जयकार। धार्मिक अनुष्ठान के साक्षी बनने को गांव लौटे प्रवासियों के चेहरे पर प्रेम व अपनत्व के कई भाव एक साथ तैर रहे हैं। जिक्र हो रहा है पौड़ी जनपद के कल्जीखाल ब्लका के चौंडली गांव का। इन दिनों यहां का नजारा दिल को बाग-बाग कर रहा है। यह बात अलग है कि धार्मिक अनुष्ठान के बाद प्रसासी वापस लौट जायेंगे लेकिन इन दिनों यहां रौनक व रंगत देखते ही बन रही है।

चौंडली वह गांव है जहां एक भी आदमी नहीं रहा है। मकानों पर ताले, व जाले लगे हैं और गुठ्यार मानों आंसू बहा रहे हैं। इंतजार में है कि मेरे अपने कब आयेंगे। बात साल-2013 की है जब इस गांव में रह रही एक मात्र वृद्ध दंपत्ति भी अपने बेटों के साथ दिल्ली चली गयी और यह गांव पूरी तरह से खाली हो गया। हां, कोविड काल में प्रवासियों को गांव की याद आयी और गांव में रौनक लौट गयी थी। इसके बाद फिर प्रवासी शहरों की ओर लौट गये। 30 मई 2021 को तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने भी चौंडली गांव का दौरा किया था।


गांव में सड़क सुविधा का अभाव है। आवश्यकता इस बात की भी है कि इस गांव तक सड़क पहुंचायी जाये। हालांकि सवाल यहां यह भी है कि जब गांव में कोई है ही नहीं तो सड़क का क्या मतलब।

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बहरहाल, इन दिनों इस गांव में धार्मिक अनुष्ठान के बहाने ही सही प्रवासियों की दस्तक हो चुकी है। गांव गुलजार हो गया है और गांव के खाली होने का दर्द लोगांें के चेहरों पर पढ़ा भी जा सकता है लेकिन इस दर्द की दवा क्या होगी इस पर मंथन शायद नही हो। इस गांव के महेश नेगी भी गांव लौटे हैं। नेगी दा के बच्चे कनाडा में रहते हैं। नेगी दा कहते हैं कि यह सब पितरों एवं देवी देवता का ही कमाल है

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