वाह……इस साल आयी ” काफल ” की बहार| काफल से गुलजार बाजार| जयमल चंद्रा की Report
सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल
औषधीय गुणों की खान व बेहद स्वादिष्ट पहाड़ी फल काफल इन दिनों पेड़ों से लेकर बाजार तक छाया हुआ है। यह फल ग्रामीणों की आर्थिकी का जरिया भी बना हुआ है। गुमखाल, रिखणीखाल समेत अन्य जगहों पर इन दिनों काफल खूब दिख भी रहा है और खूब बिक रहा है और लोग काफल का स्वाद चखकर कह रहे हैं कि वाह क्या बात है। इन दिनों यह फल 250 से लेकर 300 तक बिक रहा है। जानकार बताते हैं कि इस साल जंगलों में आग नहीं लगने के कारण यह काफल प्रचुर मात्रा दिखायी दे रहा है। बीते कुछ सालों में तो काफल के भी लाले पड़ गये थे लेकिन इस साल काफल ही काफल छाया हुआ है।
स्वाद के लिहाज से रसीले, खट्टे भी मीठे भी स्वाद से भरपूर काफल दो-तीन माह का ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ता है। सतपुली से गुमखाल तक तो जगह-जगह काफल की टोकरियां दिखायी दे रही हैं। ग्रामीणों ने जगह-जगह छोटी-छोटी दुकानें लगा रखी हैं। इन दिनों प्रवासी लोग कुछ दिनों के लिये ही सही लेकिन पहाड़ की ओर रूख कर रहे हैं ऐसे में काफल ने प्रवासियों को और भी गद्गद कर दिया है।
क्या कहते हैं कि ग्रामीण
जनपद पौड़ी के द्वारीखाल ब्लाक के ग्वीन छोटा गांव के ग्रामीण पान सिंह, बीरवल सिंह, कुलदीप आदि ने बताया कि गुमखाल में काफल खूब बिक रहा है। बताया कि पिछले साल तो काफल के लाले ही पड़ गये थे।
वहीं, कल्जीखाल ब्लाक के टीर निवासी मनमोहन व भेटी गांव के देबू भाई व भोपी ने बताया कि इस साल काफल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। असवालस्यूं पट्टी के डंुक गांव निवासी अमरदीप रौथाण व जैथोल गांव निवासी अशोक, संजय ने बताया कि पिछले दिनों गांव गये थे और वापसी करते वक्त काफल खाये भी और अपने साथ लायें भी। डुंक के ही संदीप रौथाण बताते हैं कि इस बार तो काफल ने दिल बाग-बाग कर दिया है।
सेहत के लिहाज से देंखे तो काफल कई औषधीय गुणों की खान हैं। आयुर्वेद के जानकार डा महेंद्र राणा बताते हैं कि काफल बेहद किफायती हैं। इसमें एंटी-आक्सीडेंट तत्वों से भरपूर हैं। पेट संबंधी कई रोगों के लिये यह रामबाण हैं। काफल का जिक्र गढ़वाली लोक साहित्य व गीातों में भी खूब आता है। लेखकों व गीतकारों ने काफल पर खूब लिखा है। बरहहाल, अच्छी खबर यह है कि इस साल काफल खूब दिख भी रहा है और बिक भी। आओ, आप भी काफल खायें और चलें पहाड़ की ओर।