Rawat Brothers की दोस्ती के क्या कहने| कमल रावत व देवेंद्र रावत ने डाली पुण्य के यज्ञ में आहुतियां|जगमोहन डांगी की Report

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सिटी लाइव टुडे, जगमोहन डांगी, पौड़ी


आस्था के केंद्र मंदिरों में माथा टेकने से जीवन की समस्त मनोकामनायें पूरी हो जाती हैं। ये आस्था की डोर ही तो हैं जो प्रवासी भी घर पहुंचकर मंदिरों में अनुश्ठान करवाते हैं। मंदिरों के जीर्णाेद्वार का पुनीत कार्य भी आस्थावान करते हैं। ऐसे ही प्रसिद्ध श्री डांडा नागराजा मंदिर में भी हुआ है। बीडा उठाया भक्त ग्राम प्रधान धनाऊ व प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष कमल रावत एवं उनके मित्र देवेंद्र सिंह रावत ग्राम पाली ने। दोनों ने दोस्ती की मिसाल भी कायम की और पुण्य कार्य भी। कहते हैं कि दोनों की दोस्ती का कोई सानी नहीं है।


खास बात यह है कि दोनों अलग – अलग गांव अलग अलग पट्टियों के रहने वाले हैं। देवेंद्र रावत दिल्ली में रहते हैं और कमल रावत गांव में ही ग्राम प्रधान पद पर हैं। दोनो का आपसी तालमेल से अपने- अपने पितरों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में प्रसिद्ध सिद्धपीठ डांडा नागराजा मंदिर का मुख्यद्वार का जीर्णाेद्वार के कार्य कराकर यह पुनीत कार्य कर पुण्य अर्जित किया जिसका 14 अप्रैल को बैसाख 2 गते विधि विधान से पूजन- अर्चना कर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया हैं।

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यह मंदिर का भव्य मुख्य प्रवेश द्वार भी प्रसिद्ध सिद्धपीठ श्री सेम मुखेम टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड की तर्ज पर किया गया जिसकी चारो तरफ जमकर सराहना हो रही हैं। यह सात मुखी शेषनाग का प्रवेश द्वार निर्माण में 41 दिन का समय लगा और यह भव्य शेषनाग के आकर का प्रवेश द्वार का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार मुन्नू सिंह नजीबाबाद निवासी ने बनवाया। हालांकि शेषनाग के रूप में उन्होंने यह पहला प्रवेश द्वार निर्माण किया जो मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता हैं।

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