कुबेर के चार दूत.. दारू-खनन-वन-परिवहन, उत्तराखंड में इनका ठीक नहीं चाल चलन|अजय रावत की Report

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस-अजय रावत

अपना बड़ा भाई यूपी अकेले दारू से 45 हज़ार करोड़ सरकारी खजाने में इकट्ठा कर रहा, नतीज़ा ये कि यूपी की राजस्व प्राप्तियां सरप्लस जा रही हैं। अब बात करें अपने उत्तराखंड की , तो यहाँ दारू महकमें को करीब साढ़े 3 हज़ार करोड़ का टारगेट दिया गया था, जिसमें फिलवक़्त तक 32सौ करोड़ ही जमा हो पाए हैं।

वहीं उत्तराखंड में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके खनन महकमें का प्रदर्शन तो निहायत ही शर्मसार करने वाला है। 825 करोड़ के मुकाबले यह महकमा अभी 400 के आंकड़े के करीब पंहुचने में भी हांफने लगा है। इस इदारे पर यह कहावत सटीक बैठ रही कि “बाड़ ही फ़सल सफाचट कर रही”। वह भी तब जब नेताओं-अफसरों व माफियाओं के नेक्सस की छत्रछाया में प्रदेश की दरियायों में बलात्कार की हद तक खनन-चुगान का खेल चल रहा है। कई सौ करोड़ मुद्राएं जो राजकोष में जमा होनी थी वो इस गठजोड़ की जेब में जा रही हैं।


रही बात जंगलात महकमें की तो कॉलोनियाल मेंटेलिटी से ग्रसित इसके अफसरों को तो सिर्फ लेना आता है, देना नहीं। आबोहवा के नाम पर देशी-विदेशी इमदाद मिल जाएं तो इनकी बल्ले बल्ले हो जाये। यह महकमा भी 600 करोड़ के अपने लक्ष्य के सापेक्ष 300 बड़ी मुश्किल से पार कर पाया है।
भला हो ऑनलाइन व्यवस्था का जो एसजीएसटी कलेक्शन और ट्रांसपोर्ट टैक्स में हेराफेरी नहीं हो पा रही, एसजीएसटी शानदार तरीके से अपने 6200 करोड़ के टारगेट को फांद कर 7000 करोड़ के करीब पंहुच गया है। वहीं परिवहन महकमा भी 1155 करोड़ की अपनी मंजिल के बेहद करीब है।

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खनन व वन की चोरी को यदि रोक लिया गया तो कुछ हज़ार करोड़ अतिरिक्त मुद्राएं शाही खजाने में आ सकती हैं। उम्मीद है सूबे के बज़ीर-ए-खज़ाना ज़नाब प्रेम चंद अग्रवाल व बज़ीर-ए-आला जनाब Pushkar Singh Dhami इस पहलू पर ध्यान देंगे।

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