उत्तराखंड में केवल हरिद्वार में ही पेलेटिव केयर वार्ड| click कर पढ़िये पूरी खबर
सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउस
आठ अक्टूबर को विश्व पेलेटिव केयर दिवस है। पेलेटिव केयर का असली मतलब यह है कि जो मरीज लाइलाज बीमारी एवं क्रोनिक डिजीज से जूझ रहा हो उसकी मानवता, आत्मीयता, सामाजिक स्तर पर सेवा करना यही सच्चा पेलेटिव केयर हो सकती है। इतिहास के आइने में देखें तो कलिंग युद्व के बाद भी पेलेटिव केयर खुले थे। उत्तरखंड का उत्तराखंड के अस्पतालों में केवल हरिद्वार सरकारी अस्पताल में पेलेटिव केयर व्यवस्था है।
शनिवार को जिला चिकित्सालय हरिद्वार में विश्व पेलेटिव केयर दिवस के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता पीएमएस डा सी पी त्रिपाठी ने की तथा संचालन दिनेश लखेड़ा ने किया ।
डॉ सी पी त्रिपाठी प्रमुख अधीक्षक एवं डा निष्ठा गुलाटी, डा संदीप टंडन डा जंगपागी ने पेलेटिव केयर की व्यवस्था राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है। सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात युद्ध में असहाय एवं बीमार सेनिकों के लिए हजारों पेलेटिव केयर खुलवाये गये थे। पेलेटिव केयर का असली मतलब यह है कि जो मरीज लाइलाज बीमारी एवं क्रोनिक डिजीज से जूझ रहा हो उसकी मानवता, आत्मीयता, सामाजिक स्तर पर सेवा करना यही सच्चा पेलेटिव केयर हो सकती है। इसमें कैंेसर, किडनी डायलिसिस, मानसिक रोगी, क्रोनिक टी वी व अन्य रोगियों की सेवा की जाती है चाहे वो बुजुर्ग हो या बच्चा उनकी सच्ची सेवा करना ही पेलेटिव केयर है।
स्टेट पेलिव संस्था से आये हुए राजेंद्र बिजल्वाण ने पेलेटिव के बारे बताया कि पूरे प्रदेश में सभी जिला चिकित्सालयों में से हरिद्वार में ही पेलेटिव केयर वार्ड की व्यवस्था है जिसका संपूर्ण श्रेय डा सी पी त्रिपाठी को जाता है इंटर्न नितिन और नसरीन ने भी पेलिटेव केयर के बारे में बताया।
पेलेटिव केयर गोष्ठी में डा सी पी त्रिपाठी, डा संदीप टंडन, डा रविंद्र चौहान,डा शशिकांत,डा चन्दन मिश्रा, डा हितेंद्र जंगपांगी, डा सुब्रत अरोड़ा,डा संजय त्यागी डा निष्ठां गुलाटी, डा उषा, डा शिखा डा रामप्रकाश, डा अनस, डा रहमान, डा पंकज, पेलेटिव कॉडिनेटेर आर डी बिजल्वाण,आशा शुक्ला, मनोरमा राय, हिमानी खन्ना,रुचिका, उषा देवी,अनीता, हिमांशी,सरिता चौहान,महावीर चौहान, प्रदीप मौर्य, अमित, विनोद, राजन, दीपाली, नेहा, मिथलेश, धीरेंद्र सिंह,अजित, आदर्श, राहुल यादव, दिनेश लखेड़ा, भुवन पन्त, शीशपाल, मुकेश, सीमा, पी सी रतूड़ी, इत्यादि ने गोष्ठी में भाग लिया।