श्री नागदेव गढ़ी| शीष झुकाकर लिया आशीष| बही भक्ति की गंगा| जयमल चंद्रा की रिपोर्ट
सिटी लाइव टुडे, जयमल चंद्रा, द्वारीखाल
लोकगायक व मूल रूप से नागदेवगगढ़ी की तलहटी में स्थित गांव बमोली के मूल निवासी राकेश टम्टा ने भी अपने गढ़वाली भजन में नागदेव गढ़ी की गरिमा व महिमा का वर्णन किया। यह भजन खूब पसंद किया गया।
महाशिव रात्रि का पर्व द्वारीखाल व आसपास के क्षेत्रों में भी असीम आस्था व विश्वास के साथ मनाया गया। तमाम शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर मनवांछित फल की कामना की। ऐतिहासिक एवं प्राचीन प्रसिद्ध प्राचीन सिद्धपीठ श्री नागदेव गढ़ी में धर्म-अध्यात्म का रंगा गाढ़ा रहा। यहां भी भक्तों ने पूजा-अर्चना कर माथा टेका। जयघोषों व जयकारों से पूरा दिन भक्तिमय बना रहा।
महाशिव रात्रि पर्व पर द्वारीखाल क्षेत्र के तमाम शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। जलाभिषेक व पूजा-अर्चना का क्रम दिनभर चलता रहा। दोपहर के बाद भीड़ कम होने लगी थी।
इस पुनीत मौके पर द्वारीखाल ब्लॉक के चैलूसैण से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित नागदेव गढ़ी का नजारा भी एकदम जुदा दिखा। यहां भी आस्था का सैलाब उमड़ा। श्री नागदेव गढ़ी क्षेत्र ही नहीं बल्कि देशभर में धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के लिये जाना जाता है। दूर-दूर से श्रदालु नागदेव गढ़ी के दर्शन व पूजा अर्चना के लिए भक्तिभाव से पैदल यात्रा कर यहां पहुचते हंै। वैसे तो प्रतिदिन श्रदालुआंे को यहां देखा जा सकता है लेकिन महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखकर श्रदालुओ की यहां अपार भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर गांवों से मन मे शिव की भक्ति व आस्था का दीप जलाए लोग बाबा भोलेनाथ के दर्शन को आते हैं। वर्षों से परम्परा है कि महाशिवरात्रि के दिन यहां पूजा अर्चना कर मनवांछित फल बाबा भोले नाथ से प्राप्त होता है।
लोकगायक व मूल रूप से नागदेवगगढ़ी की तलहटी में स्थित गांव बमोली के मूल निवासी राकेश टम्टा ने भी अपने गढ़वाली भजन में नागदेव गढ़ी की गरिमा व महिमा का वर्णन किया। यह भजन खूब पसंद किया गया।