NON-POLITICAL.| ” नीच भंगराज योग ” और पीएम मोदी| प्रस्तुति-आचार्य पंकज पैन्यूली

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सिटी लाइव टुडे, मीडिया हाउसआचार्य पंकज पैन्यूली(ज्योतिष एवं आध्यात्मिक गुरु) कार्यालय-बहुगुणा मार्ग पैन्यूली भवन ढालवाला ऋषिकेश।सम्पर्क सूत्र-9818374801,8595893001


सियासी मौसम में बातें हो रही हैं कि मोदी लहर कम हो गयी है लेकिन प्रभाव भी तो बना हुआ है। इस खबर में मोदी से संबंधित non-political बात करते हैं। ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया में चलते हैं कि आखिर मोदी की जन्मकुंडली में ऐसा क्या खास है जो मोदी को खास बेहद खास बनाते हैं। ज्योतिषीय विश्लेषण बताता है कि कई मायनों में मोदी की कुंडली बेहद खास और एकदम हटकर है। इसमें सबसे बड़ा योग राजयोग है वो भी नीचभंगराज योग। खास बात यह है कि ज्योतिष शास्त्र में नीच भंगराज योग को अति उत्तम राजयोग माना गया है।

तो आइये जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्म कुंडली में वे कौन-कौन से योग हैं,जो उन्हें अति उर्जावान, क्रियात्मक, व्यवस्थापक, अति तीक्ष्ण बुद्धिमान,अकाट्य तर्कशक्तिवान,निड़र,कठोर से कठोर निर्णय लेने वाला,पल भर में विपरीत परिस्थितियों को भी अनकूल बना लेने वाला, त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने वाला,राजनीति में उत्तरोत्तर हर पायदान में सफलतापूर्वक आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री पद तक

पहुंचाने वाले योग एवं पारिवारिक मोह बन्धन से पृथक कराने वाले योगों के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। इस क्रम में सबसे पहले उनके जन्म समय का विवरण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को प्रातः 11.00 बजे महेसाणा गुजरात में हुआ।
उनकी कुण्ड़ली इस प्रकार बनती है।

उपरोक्त कुंडली में बनने वाले योग! जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सफलतापूर्वक राजनीति के उच्चतम शिखर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। पहले संख्यानुसार इन योगों को जानते हैं,और फिर इन योगों के क्या फल होते हैं,वह भी जानेंगें।
1.नीचभंगराज योग। (अति उत्तम राजयोग)
2.लग्नेश और भाग्येश का युति योग। (भाग्य,मान,सम्मान एवं पद प्रतिष्ठा कारक योग)
3.बृहस्पति और शुक्र से बनने वाला सरस्वती योग। (उन्नत बुद्धिदाता सरस्वती योग)
4.दशमेश और लाभेश का युति सम्बन्ध योग। (अधिकार सम्पन्न कारक श्रेष्ठ राज योग)
5.विद्या,बुद्धि कारक उच्चस्थ बुध की पंचम बुद्धिभाव में दृष्टि। ( श्रेष्ठ तर्क शक्तिकारक योग)
6.बुधादित्य योग।
7.बुद्धि विवेक और आत्माकारक सूर्य की पंचम भाव में मैत्रिपूर्ण दृष्टि। (तर्क,मन्त्रणाषक्ति,अविष्कारक सोच,षोधप्रवृत्ति,अध्यात्म के प्रति गहन रूचि एवं नेतृत्त्व षक्तिकारक श्रेष्ठ योग )
8 पारिवारिक मोहभंग को दर्शाने वाले योग। पत्नि भाव (सप्तम भाव) में मंगल की पूर्ण कु्रर दृष्टिा।
सप्तम (पत्निभाव) व सप्तमेश (पत्निभाव)शुक्र का पीडित होना।
चूंकि किसी भी पुरूष की कुंडली में शुक्र को पत्नि का अथवा वैवाहिक सुख का मुख्य कारक माना जाता है। उसका पीडित होना वेैवाहिक जीवन को या तो असंतुलित बना देता है,या फिर अधिक पीड़ित होने पर व्यक्ति को वैवाहिक जीवन से वंचित कर लेता है। और यदि नरेन्द्र मोदी की कुंडली की बात करें तो इनकी जन्मकंुड़ली में पत्नि कारक शुक्र न केवल कारक होकर पीड़ित हो रहा है,बल्कि पत्नि भाव का भी स्वामी बन रहा है। अतः सप्तम,सप्तमेश और कारक का पीड़ित हो जाना वैवाहिक सुख से वंचित कर लेता है।
सप्तमेश शुक्र का पृथकताकारक राहू सूर्य से पापकर्तरी योग में आना।
नवमांश कुंडली में भी वैवाहिक जीवन का पूर्णतः प्रभावित दिखना।
उपरोक्त योग जो नरेन्द्र मोदी की कुंडली में बन रहे हैं उन योगों में से कुछ योगों का फल
1.नीच भंग राजयोग का फलश् यथाश्नीचस्थितो जन्मनि यो ग्रहास्यात् ………………………………………………………………राजा भवेद्धार्मिक चक्रवर्ती। भावार्थ-जब किसी भाव में कोई ग्रह नीचराशि में स्थित हो और उस नीच राशि का स्वामी या उसका उच्चनाथ लग्न से या चन्द्रमा से केन्द्र भावांे (1.4.7.10) में आता हो,तो अति विशिष्ट नीचभंग राजयोग का निर्माण होता है। ऐसे योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति निःसन्देह ‘राजा भवेद्धार्मिक चक्रवर्ती’ प्राचीन समय में राजा की पदवीं और वर्तमान समय में अथवा प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अधिकार सम्पन्न पद प्राप्त करते हैं।

जैसे भारत आदि देशों में प्रधानमंत्री का पद और अमेरिका आदि देशों में राष्ट्रªपति का पद। साथ ही ऐसे लोग धार्मिक और आध्यात्मिक भावना से भी ओतप्रोत होते हैं‘राजा भवेद्धार्मिक’।
2.लग्नेश और नवमेश/भाग्येश की युति योग का फल- (भाग्य,मान,सम्मान एवं पद प्रतिष्ठा कारक योग) लग्न भाव शारीरिक स्वास्थ्य,स्वभाव,प्रवृत्ति,व्यक्तित्त्व,मन मस्तिष्क में उठने वाले विचार,विचारों में दृ ़ता,मानसिक स्थिरता,दृष्टिकोण (यानि नजरिया संसार और संसारी लोगों के प्रति आपका दृष्टिकोण) आदि-आदि के अतिरिक्त मानप्रद अर्थात पद प्रतिष्ठा का भी मुख्य कारक माना जाता है। इसी प्रकार नवम भाव को भाग्य के अलावा ज्ञान,अध्यात्म के प्रति रूचि व राज्यकृपा का कारक माना जाता है।
अर्थात प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की कुण्डली में ज्ञान,मानसिकता,बुद्धिकौशल,मन मस्तिष्क में उठने वाले विचार,पद प्रतिष्ठा एवं राज्यकृपा कारक भावों के स्वामियों की शुभ लग्न भाव में युति एक उत्तम राजयोग का निर्माण कर रही है। यह राजयोग शुभ भावों के स्वामियों चन्द्र एवं मंगल से बन रहा है,अतः यह राजयोग त्यागपूर्ण बन जाता है। यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी जी राजनीति के शिखर में होते हुए भी एक कर्मयोगी की भांति जीवन यापन कर रहे है।
4.दशमेश और लाभेश का युति सम्बन्ध योग-(अधिकार सम्पन्न कारक श्रेष्ठ राज योग) सामान्यतःकुण्डली के दशम भाव को कर्मक्षेत्र कहा जाता है। कर्मक्षेत्र यानि व्यक्ति की आजीविका अथवा ‘कर्म’ का भाव। अर्थात दशम भाव जब अति शुभ स्थिति में होता है,तो जातक को नौकरी आदि मंे उच्चपद की प्राप्ति होती है,और व्यवसाय में पूर्ण सफलता मिलती है। उसी प्रकार यदि ऐसा व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में जाता है,तो वह सफल नेता होता है। हां! ये अलग बात है कि अन्य भी जो नौकरी,व्यवसाय,पद,प्रतिष्ठाकारक अंग है,उनका भी मजबूत और शुभ होना परम आवश्यक होता है। इसी प्रकार ग्यारहवेें भाव को लाभ और राज्य भाव अथवा राजसत्ता कहा जाता है। वस्तुतः कुण्डली के दशम और ग्यारहवें भाव की शुभ स्थिति व्यक्ति की उन्नति और प्रगति के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता है। नरेन्द्र मोदी की कुण्डली में दशम भाव का स्वामी सूूर्य है,सूर्य को ज्योतिष में पद,प्रतिष्ठा का विशेष कारक माना जाता है,पहली शुभ स्थिति,दूसरी शुभ स्थिति सूर्य स्वयं लाभ व राज सत्ता के भाव में बैठा हुआ है। तीसरी शुभ स्थिति लाभ व राजसत्ता के भाव का स्वामी बुध यहां पर अपनी उच्च राशि में बैठा हुआ है। चैथी शुभ स्थिति दशम और एकादशेश का एकादश भाव में एक साथ होना। कुल मिलाकर उपरोक्त नियमानुसार नरेन्द्र मोदी की कुण्ड़ली में बहुत अच्छे राजयोग का निर्माण हो रहा है।

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आचार्य पंकज पैन्यूली(ज्योतिष एवं आध्यात्मिक गुरु) कार्यालय-बहुगुणा मार्ग पैन्यूली भवन ढालवाला ऋषिकेश।सम्पर्क सूत्र-9818374801,8595893001


6.बुधादित्य योग-सूर्य और बुध के एक साथ होने पर ‘बुधादित्य योग’बनता है। इस योग को काफी शुभ और राजयोग कारक माना गया है। लेकिन इस योग को तभी अधिक शुभ और राजयोग कारक माना जाता है,जब सूर्य और बुध शुभ स्थिति एवं अपनी उच्चराशि आदि में बलवान होकर स्थित हों। नरेन्द्र मोदी की कुण्डली में बुध अपनी उच्च राषि कन्या में स्थित है,और सूर्य मित्र राशि में विराजमान है। अतः नरेन्द्र मोदी कुंडली में बनने वाला बुधादित्य योग पूर्ण्ारूपेण शुभ एवं राजयोगकारक है।
वर्तमान महादशा-वर्तमान समय मेेें नरेन्द्र मोदी की मंगल की महादशा चल रही है। जिसका प्रारम्भ 30नवम्बर 21को हुआ और 30 नवम्बर 2028 तक इसकी अवधि रहेगी। इस दशा काल में प्रधानमंत्री और नये-नये कीर्तिमान स्थापित करेंगे और अपनी योजनाओं में पूर्ण सफल होंगे। इस दशा काल में उनके विरोधी परास्त होंगे तथा विस्वासपात्र मित्रों व अधिकारियों का खूब सहयोग मिलेगा। इस समयकाल में प्रधानमंत्री जो भी कार्य योजनाऐं लायेंगे वे जनमानस के कल्याणार्थ होंगी ओैर जनता का भरपूर समर्थन उनको प्राप्त होगा। अर्थात उनकी लोकप्रियता ओैर अधिक बढ़ने वाली है। और निःसन्देह आने वाले समय में भी उनका नेतृत्त्व देश को मिलने वाला है।
इस प्रकार भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुण्डली का यथामति हमने संक्षिप्त विवरण आप सभी पाठकों की जानकारी के लिए प्रस्तुत किया है

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