उत्तराखंड| 2022 कांग्रेस के लिए वज़ूद बचाने की जंग|अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार

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सिटी लाइव टुडे, अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार

उत्तराखंड में पांच पांच साल की बारी के साथ भाजपा व कांग्रेस सरकार चलाती रही हैं, किन्तु इस मर्तबा भले कांग्रेस अति उत्साह में है लेकिन भाजपा भी इस मिथक को बदलने को लेकर पूरी तरह आशान्वित है। जनता का मूड भी इस बार जुदा जुदा है, मतदाताओं की खामोशी कहती है कि कांग्रेस स्थानापन्न होने या भाजपा की बरकरार रहने से मिथक टूटने की संभावनाएं तकरीबन बराबर हैं।

यदि इस मर्तबा उत्तराखंड की सत्ता की अदला बदली वाला मिथक खण्डित होता है और भाजपा पुनरावृत्ति करती है तो 2027 तक कांग्रेस की शक्ति पूरी तरह क्षीण होने होने का अंदेशा है। अविभाजित उत्तर प्रदेश व उससे लगे हिंदी बेल्ट के प्रमुख राज्य बिहार में आज कांग्रेस जिस गति को प्राप्त हो गयी है वही गति उत्तर प्रदेश से विघटित होकर सृजित राज्य उत्तराखंड में भी हो सकती है। सत्ता से लम्बी अवधि तक दूर होने से स्वाभाविक रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होता है जिसकी परिणिति संगठन के छिन्न भिन्न होने के रूप में होती है। वैसे भी 2022 में आम आदमी जैसी पार्टी उत्तराखंड में सिर्फ उपस्थिति मात्र को जंग के मैदान में उतर रही है, उसके पास जो कुछ है पाने को है,खोने को कुछ नहीं।

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इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा होने पर 2027 में होने वाले विस् चुनाव में भाजपा के सामने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस के बजाय कोई और भी हो सकता है। लब्बोलुआब यह कि समूची हिंदी बेल्ट में लगातार हाशिये पर जाती कांग्रेस के लिए 2022 का उत्तराखंड का विस् चुनाव मनोबल के साथ वज़ूद बचाने का आख़िरी मौका है।

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