कोटद्वार|धीरेंद्र भाजपा ही नहीं कांग्रेस के लिए भी बनेंगे चुनौती|अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकर
सिटी लाइव टुडे, अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकर
नाम वापसी की समयसीमा बीतने के बाद कोटद्वार से भाजपा के बागी धीरेंद्र सिंह चौहान का नामांकन वापस कराने में भाजपा हाई कमान नाकाम साबित हुआ है। लेकिन उनके मैदान में रहने से कांग्रेस इस मुगालते में न रहे कि अब उसकी राह निष्कंटक हो चली है। दरअसल कोटद्वार में अब असली और रोचक मुकाबले का आगाज़ हो गया है। 10 मार्च को ईवीएम मशीनें कुछ अप्रत्याशित परिणाम का जरिया बन जाएं, तो इसमें भी हैरानी नहीं होनी चाहिए।
2018 के नगर निगम चुनाव में धीरेंद्र की पत्नी विभा बीजेपी को पछाड़ कर फर्स्ट रनरअप रही थीं। सौम्य व्यवहार के धनी पूर्व सैनिक धीरेंद्र सिंह चौहान की छवि नगरवासियों के मध्य काफी अच्छी मानी जाती है। कोटद्वार में सेना में कार्यरत व पूर्व सैनिक एवम उनके परिवारों की अच्छी खासी तादात है। पूर्व सैनिक होने के नाते इस वर्ग में उनकी स्वाभाविक पकड़ लाज़िमी है। सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले की बात करें तो ब्राह्मण मतदाता निःसंदेह चौहान के प्रति सद्भावना रखते हैं। वहीं भाजपा के ख़िलाफ़ राज्य सरकार की तो कांग्रेस कैंडिडेट के खिलाफ नगर निगम की एन्टीइनकमबेंसी का लाभ लेने का अवसर भी धीरेंद्र चौहान के पास होगा।
कोटद्वार में कांग्रेस के पूरक सुरेंद्र नेगी के लिए भले कागजों में अथवा भाजपा के बागी के मैदान में होने के तर्क के चलते राह आसान मानी जा रही हो, लेकिन नगर निगम के पहले चुनाव के आंकड़े इस बात का गवाह हैं कि यदि धीरेंद्र शिद्दत से जंग में उतरें तो मैदान फतेह करने की हद तक भी पंहुच सकते हैं। नगर निगम चुनाव में हेमलता नेगी को 25347 मत हासिल हुए थे, जबकि विभा चौहान 23779 मत लेकर महज़ डेढ़ हजार मतों से पीछे रह गयी थीं। वहीं भाजपा की अधिकृत नीतू रावत बमुश्किल 11 हज़ार का आंकड़ा ही छू पाई थी।
कालागढ़ के करीब 3 हज़ार वोट छोड़ दिये जायें तो यह विधानसभा नगर निगम तक ही सीमित है, ऐसे में प्रचार के 12 दिन करिश्मा करने को काफ़ी हैं।
लब्बोलुआब यह कि धीरेंद्र न केवल भाजपा के वोट बैंक पर सेंध मारेंगे, बल्कि कांग्रेस की तरफ जाने वाले फ्लोटिंग वोट भी धीरेंद्र का रुख कर सकते हैं, जो कोटद्वार के मैदान-ए-जंग को त्रिकोणीय बना सकते हैं। वहीं इस बीच भाजपा हाई कमान का धीरेंद्र को मनाने के लिए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को अधिकृत करने का फ़ैसला भी हास्यास्पद लगा।